चट्टान के पास मिला था शव
एडीपीओ फखरुद्दीन ने बताया, एक परिवाद पत्र टाइगर रिजर्व पन्ना की ओर से विशेष कोर्ट में दाखिल किया गया है। उनकी ओर से डीपीओ गणेश पांडेय और एडीपीओ धर्मेंद्र सिंह ने पक्ष रखा। दोनों ने बताया कि वर्ष 2009 में रिजर्व फॉरेस्ट में बाघों के पुनस्र्थापना की शुरुआत की गई थी। अभियान में बाघिन पी-521 हिस्सा रही है। 18 दिसंबर 2017 को अमानगंज क्षेत्र के कोनी बीट में बाघिन पी-521 की हत्या हो गई थी। विभाग की जांच में दुनताई घाटी की पगडंडी में चट्टान के पास बाघिन का शव मिला था। मौके पर पंचनामा बनाया गया और डॉग के माध्यम से शिकारियों की तलाश शुरू की गई। दूसरे दिन डॉग आरोपियों के पास पहुंच गया था। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया और मौके से शिकार में उपयोग की गई सामग्री को जब्त किया गया था।
ये हैं आरोपी
टाइगर रिजर्व ने इस मामले में चार लोगों को आरोपी बनाया है। इसमें जयपाल गौड़, तूलन, भगवानदीन और रोवन शामिल हैं। सभी अमानगंज के कोनी के रहने वाले हैं। इनके खिलाफ वन प्राणी संरक्षण अधिनियम की धारा 2, 9, 16ख, 27,29, 31, 35, 39, 50, 51, 52 का परिवाद संस्थित किया गया है।
ऐसे किया शिकार
बताया गया, आरोपियों ने बाघिन के शिकार के लिए तार के फंदे और क्लचर का इस्तेमाल किया था। बाघिन जब जंगल में घूम रही थी उसी दौरान उसकी गर्दन बिछाए फंदे में फंस गई। इसके बाद फंदा कसता गया और वह मर गई।
बताया गया, आरोपियों ने बाघिन के शिकार के लिए तार के फंदे और क्लचर का इस्तेमाल किया था। बाघिन जब जंगल में घूम रही थी उसी दौरान उसकी गर्दन बिछाए फंदे में फंस गई। इसके बाद फंदा कसता गया और वह मर गई।
कॉलर आईडी से मौत का पता चला
बाघों की पहचान के लिए रिजर्व क्षेत्र में उन्हें कॉलर आईडी लगाई जाती है। साथ ही हर बाघ को विशेष पहचान नंबर दिया जाता है। उनकी मॉनीटरिंग एंटीना के माध्यम से की जाती है। 18 दिसम्बर २०17 को कोनी बीट में बाघिन पी 521 का सिग्नल एक स्थान से मिल रहा था, वहीं पल्स रेट मॉनीटर में 120 प्रति मिनट दर्ज की गई। इसके बाद रिजर्व के अधिकारी हरकत में आ गए। बाघिन की खोजबीन शुरू की गई, तो मृत हालत में मिली।