जिसकी अनुमानित कीमत 15 लाख से 25 लाख के बीच थी। वहीं 7 सितंबर को फिर किशोर कुशवाहा को उथली खदान से मिला हीरा 5.69 कैरेट का है। जिसकी अनुमानित कीमत 20 लाख रुपए से ऊपर बताई जा रही है। फिर मंगलवार को अमरीन पति सलीम खान ने उज्ज्वल जैम क्वालिटी का 5.68 कैरेट का हीरा जमा कराया। जिसकी अनुमानित कीमत 20 लाख से ऊपर की बताई जा रही है। अब ब्रजेश कुमार उपाध्याय चौथे आदमी है जिनको एक करोड़ रुपए के ऊपर का हीरा मिला है।
बता दें कि पन्ना जिला दुनियाभर में हीरा के लिए जाना जाता है। यहां हर माह किसी न किसी मजदूर की लाटरी लगती ही है। बस इसी आस से मजदूर भी सालों-साल तक हीरा की चाल बीनते रहते है। शुक्रवार को कृष्णा कल्याणपुर पट्टी पर ब्रजेश कुमार उपाध्याय की लाटरी लग गई। इनको पन्ना के इतिहास में एक बड़ा जैम क्वालिटी का हीरा मिला है। कहते है इसकी रकम एक करोड़ रुपए के ऊपर बोली में आंकी जाएगी। हीरा मिलते ही ब्रजेश की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। तुरंत अपने साथियों के साथ पन्ना के हीरा कार्यालय में सरकारी नियमानुसार हीरा जमा करा दिया। वहीं जब इस हीरे की नीलामी होगी तो जितने में भी बिकेगा, उसमें इनकम टैक्स और रॉयल्टी काटकर संपूर्ण पैसा मजदूर को दे दिया जाएगा। हालांकि उज्जवल जैम क्वालिटी के हीरों की कीमत सबसे ज्यादा होती है। व्यापारी जैम क्वालिटी के हीरों को हाथों-हाथ बोली लगाकर खरीदते हैं।
पन्ना के मजदूरों के इन दिनों सितारें बुलंद
कहते है जब सितारे बुलंद हों तो पत्थर भी हीरा बन जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ है मध्यप्रदेश के पन्ना जिला निवासी एक मजदूर के साथ। कहते है कि रातों-रात मजदूर की किस्मत ऐसी चमकी कि वह करोड़पति बन गया। वैसे तो ब्रजेश मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करता था। लेकिन उसने अपनी किस्मत आजमाने के लिए पटी बजरिया की उथली खदान का पट्टा हीरा कार्यालय से बनवाया और फिर खदान में दिन-रात मेहनत की। मजदूर की मेहनत को देखकर भगवान भी प्रसन्न हो गए और गरीब मजदूर के झोली में 30 कैरेट का हीरा डाल दिया।
कहते है जब सितारे बुलंद हों तो पत्थर भी हीरा बन जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ है मध्यप्रदेश के पन्ना जिला निवासी एक मजदूर के साथ। कहते है कि रातों-रात मजदूर की किस्मत ऐसी चमकी कि वह करोड़पति बन गया। वैसे तो ब्रजेश मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करता था। लेकिन उसने अपनी किस्मत आजमाने के लिए पटी बजरिया की उथली खदान का पट्टा हीरा कार्यालय से बनवाया और फिर खदान में दिन-रात मेहनत की। मजदूर की मेहनत को देखकर भगवान भी प्रसन्न हो गए और गरीब मजदूर के झोली में 30 कैरेट का हीरा डाल दिया।