सतना. भगवान का जन्म विश्व में फैले अंधकार को दूर करने के लिए हुआ है। हमें यह समझना है कि किसका जन्म होता है, किसका मरण होता है। यह जन्म-मरण की परम्परा आनादि काल से चली आ रही है। उक्त उद्गार आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य मुनि समय सागर महाराज ने पंचकल्याणक महोत्सव के तीसरे दिन धर्मसभा में व्यक्त किए। भगवान के जन्म की खुशी में जुलूस निकाला गया। गजरथ पर महायज्ञ नायक कुबेर एवं धर्मस्थों पर सभी प्रमुख पात्रों को विराजमान कर नगर भ्रमण कर अभिषेक किया गया।
सतना•Apr 26, 2018 / 04:44 pm•
Sajal Gupta
सतना. भगवान का जन्म विश्व में फैले अंधकार को दूर करने के लिए हुआ है। हमें यह समझना है कि किसका जन्म होता है, किसका मरण होता है। यह जन्म-मरण की परम्परा आनादि काल से चली आ रही है। उक्त उद्गार आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य मुनि समय सागर महाराज ने पंचकल्याणक महोत्सव के तीसरे दिन धर्मसभा में व्यक्त किए। भगवान के जन्म की खुशी में जुलूस निकाला गया। गजरथ पर महायज्ञ नायक कुबेर एवं धर्मस्थों पर सभी प्रमुख पात्रों को विराजमान कर नगर भ्रमण कर अभिषेक किया गया।
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सतना. भगवान का जन्म विश्व में फैले अंधकार को दूर करने के लिए हुआ है। हमें यह समझना है कि किसका जन्म होता है, किसका मरण होता है। यह जन्म-मरण की परम्परा आनादि काल से चली आ रही है। उक्त उद्गार आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य मुनि समय सागर महाराज ने पंचकल्याणक महोत्सव के तीसरे दिन धर्मसभा में व्यक्त किए। भगवान के जन्म की खुशी में जुलूस निकाला गया। गजरथ पर महायज्ञ नायक कुबेर एवं धर्मस्थों पर सभी प्रमुख पात्रों को विराजमान कर नगर भ्रमण कर अभिषेक किया गया।
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