सतना

Navratri 2024: चमत्कारी देवी मंदिर का रहस्य कर देगा हैरान, नवरात्रि में यहां से कोई नहीं जाता खाली हाथ

Navratri 2024: अगर आप भी जा रहे हैं मैहर माता मंदिर, तो ये खबर आपके काम की है, यहां हम आपको बता रहे हैं, मैहर माता मंदिर के रहस्य, चमत्कार… माता के दर्शन करने कैसी है व्यवस्था, कहां से पकड़े ट्रेन, बस या फिर फ्लाइट…

सतनाOct 04, 2024 / 04:50 pm

Sanjana Kumar

मैहर में बरसती है देवी मां की मेहर, भक्त नहीं जाते खाली हाथ.

Navratri 2024: नवरात्रि में देवी के शक्तिपीठ खासा महत्व रखते हैं। देश-दुनिया में इनके 51 शक्तिपीठ हैं। शक्तिपीठों की कहानी कहते इन मंदिरों और स्थानों की अपनी रहस्यमयी-चमत्कारी दुनिया भी है। मध्यप्रदेश का मैहर माता मंदिर भी ऐसी ही मान्यताओं के लिए दुनियाभर में मशहूर है। नवरात्रि में यहां भक्तों का ऐसा सैलाब उमड़ता है। यहां से भक्त लौट तो जाते हैं लेकिन देवी के चमत्कार और रहस्यों की कहानियां हमेशा-हमेशा के लिए उनके जहन में छप जाती हैं… क्या आप जानते हैं क्या है मैहर माता मंदिर का रहस्य…

देवी के इस शक्तिपीठ का नाम क्यों पड़ा मैहर

दरअसल, सती के शरीर के अंग और धारण किए गए आभूषण जहां-जहां गिरे वहां-वहां शक्ति पीठ अस्तित्व में आ गए। शक्तिपीठों की संख्या कई ग्रंथों में मिलती है। तंत्रचूड़ामणि में शक्तिपीठों की संख्या 52 बताई गई है। देवीभागवत में 108 शक्तिपीठों का उल्लेख मिलता है, तो देवीगीता में 72 शक्तिपीठों का। देवीपुराण में इनकी संख्या 51 बताई गई है। परम्परागत रूप से भी देवीभक्तों में 51 शक्तिपीठों की विशेष मान्यता है।
मैहर शक्तिपीठ के लिए कहा जाता है कि यहां स्थित त्रिकुट पर्वत पर माता सती का हार और कंठ गिरा था। इसलिए इस शक्तिपीठ का नाम मैहर यानी माई का हार पड़ा। कालांतर में यह मां शारदा के मंदिर के रूप में प्रतिष्ठापित हुआ और त्रिकुट पर्वत का पूरा क्षेत्र मैहर के नाम से प्रसिद्ध हो गया। कभी महिष्मति साम्राज्य का हिस्सा माना जाने वाले मैहर का धीरे-धीरे विस्तार और विकास होता रहा। यहां प्रतिहार, पाल, गोंड, चंदेल, बघेल आदि राजाओं ने भी शासन किया।

तमसा नदी के तट पर बसा है मैहर

मैहर जिला मध्‍य प्रदेश का एक नवगठित जिला है। तमसा नदी के तट पर बसा यह जिला जबलपुर से करीब 153 किलोमीटर तो सतना से 40 किमी दूर है। मैहर में 600 फीट यानी 5 किमी ऊंचे त्रिकुटा पर्वत में मां विराजी हैं। मैहर, सतना, कटनी, रीवा जिलों से घिरा हुआ है।

आल्हा उदल आज भी करने आते हैं पूजा

देवी के शक्तिपीठों में से एक मैहर माता मंदिर के रहस्य आज भी भक्तों को हैरान करते हैं। मान्यता है कि भक्त आल्हा और उदल आज भी मैहर माता मंदिर में देवी की पूजा करने सबसे पहले पहुंचते हैं। संध्या आरती होने के बाद जब मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और पंडित अपने घर लौट जाते हैं, तब भी मंदिर से घंटियों की आवाज सुनाई देती है। वहीं जब पंडित अल सुबह मंदिर में पूजा-पाठ करने के लिए जैसे ही पट खोलते हैं तो मां को चढ़े फूल और माला देखकर हैरान रह जाते हैं। स्थानीय बुजुर्गों का कहना है कि मैहर वाली माता के भक्त आल्हा आज भी उनकी पूजा करने आते हैं।

मंदिर में दर्शन की व्यस्था

परिसर के मुख्य प्रवेश द्वार से मंदिर तक पहुंचने के लिए वृद्धजनों और दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर की सुविधा उपलब्ध रहती है। 1001 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर में प्रवेश मिल पाता है। इसके बाद आप गर्भगृह तक पहुंचेंगे, जहां 3 फीट की दूरी से आप मां शारदा के दर्शन कर सकते हैं। नवरात्रि में यहां हर दिन 5-6 लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां जानें अपने हर सवाल का जवाब..
सवाल- आरती का समय क्या है?

जवाब- मैहर माता मंदिर में प्रात:कालीन आरती- सुबह 5.30 बजे, मध्‍यान आरती- दोपहर 12.00 बजे और संध्या आरती- शाम 7.30 बजे (समय में परिवर्तन संभव) मैहर में माता रानी एक घंटे (दोपहर 12:00 से 1:00 बजे तक) विश्राम करती हैं। इस दौरान गर्भगृह के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
सवाल: आरती में कैसे शामिल हो सकते हैं?

जवाब: आरती में शामिल होने के लिए ट्रस्‍ट ने कोई नियम तय नहीं किया है।

सवाल: वीआइपी दर्शन की क्‍या व्‍यवस्‍था है?

जवाब: मां शारदा के दर्शन के लिए वीआइपी दर्शन की कोई आधिकारिक व्यवस्था, टिकट या शुल्क नहीं है। सीढ़ियों के अलावा रोपवे है, इसका किराया देकर आप सहजता से मां के दरबार में पहुंच सकते हैं।

मंदिर में ले जा सकते हैं केवल प्रसाद

मां शारदा के दर्शन के समय आप मंदिर में कुछ नहीं ले जा सकते। मंदिर में केवल प्रसाद ले जाने की ही अनुमति है। बाकी सामान रखने के लिए दुकानों में सुविधा की गई है।

बता दें कि मैहर पहुंचने के लिए सड़क, वायु और रेल मार्ग की सुविधाएं हैं। आप चाहें तो अपने वाहन से भी यहां पहुंच सकते हैं।

हवाई मार्ग:

प्रयागराज एयरपोर्ट (मैहर से 215.4 किलोमीटर)
जबलपुर का डुमना एयरपोर्ट (मैहर से 162 किलोमीटर)

रीवा एयरपोर्ट (निर्माणाधीन है) (मैहर से 62 किलोमीटर)

सड़क मार्ग

मैहर अच्छी तरह से आवागमन के माध्यमों से जुड़ा हुआ है। यह दोनों प्रमुख माध्यम रेल मार्ग और सड़क मार्ग 30 एनएच (राष्ट्रीय राजमार्ग) से जुड़ा हुआ है। शारदा माता मंदिर मैहर रेलवे स्टेशन से 6 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर तक जाने के लिए आप रोपवे का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
रेलवे से यात्रा

जबलपुर स्टेशन 162 किलोमीटर मैहर से दूर स्थित है। मैहर रेलवे स्टेशन पश्चिम मध्य रेलवे के कटनी और सतना स्टेशनों के बीच में स्थित है। नवरात्रि के दिनों में यहां भीड़ होती है। इसलिए इन दिनों के दौरान अप और डाउन के सभी ट्रेने यात्रियों की सुविधा के लिए मैहर में रुकते हैं।
मैहर, कटनी जंक्‍शन और सतना जंक्‍शन के बीच स्थित है। रेलवे स्‍टेशन कोड MYR है। दोनों जंक्‍शनों के मध्‍य कई ट्रेनों का आवागमन दिन भर रहता है। वहीं रेलवे ने नवरात्रि के पहले दिन 3 अक्टूबर से मैहर स्टेशन पर 14 ट्रेनों का स्टॉपेज भी शुरू किया है। ट्रेन बुक करने यहां करें क्लिक : IRCTC

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कहां रुकें?

मंदिर के पास छह किलोमीटर के दायरे में रुकने के लिए बहुत सारे होटल हैं। इसके साथ ही मैहर में खाने-पीने की भी अच्छी व्यवस्था मिल जाएंगी।

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