राम वन गमन पथ में चिन्हित प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक सिद्धा पहाड़ में खनन की अनुमति के लिये प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जनसुनवाई आयोजित की थी। जैसे ही यह मामला लोगों के संज्ञान में आया तो व्यापक जन आक्रोश भड़क गया। इसको लेकर आंदोलन प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया। इस मामले के सामने आने के बाद भाजपा बैक फुट पर आ गई थी और कांग्रेस लगातार हमले करते जा रही थी। लेकिन रामायण काल जुड़े आस्था के केन्द्र पवित्र पर्वत पर खनन की जानकारी जैसे ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को मिली उन्होंने बड़ा फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया कि न केवल सिद्धा पहाड़ बल्कि इस जैसे अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर वाले स्थानों पर उत्खनन किसी भी कीमत पर नहीं होने दिया जाएगा।
जन समुदाय में हर्ष की लहर मुख्यमंत्री के इस निर्णय के सामने आने के बाद जनसमुदाय में हर्ष की लहर फैल गई है। पवित्र पर्वत सिद्धा पहाड़ से लगे सरभंग मुनि आश्रम के महंत राम शिरोमणि दास ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद प्रेषित करते हुए कहा है कि उनके बयान के बाद अब राम वन गमन पथ से लगे स्थलों की खदानों के बंद होने की उम्मीद जाग गई है। राम के भक्त लंबे समय से इस पूरे धर्म क्षेत्र को खनन मुक्त करने की मांग कर रहे थे। ऐसे पूरे रामभक्तों के लिये उत्सव का पल है।
संचालनालय पहुंचा संदेशा सीएम ने जैसे ही सिद्धा पहाड़ और इस जैसे स्थलों पर उत्खनन बर्दाश्त नहीं करने का ट्वीट किया खनिज महकमा सक्रिय हो गया। आनन फानन में संचालक खनिज के पास इस संबंध में निर्देश पहुंच गए हैं। साथ ही कलेक्टर को भी आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दे दिये गये हैं। सीएम के निर्देश के बाद सिद्धा सहित इससे लगे अन्य स्थलों में मौजूद खदानों की जानकारी एकत्र कर प्रतिवेदन तैयार किया जा रहा है। इस मामले में कलेक्टर अनुराग वर्मा ने बताया है कि सिद्धा पहाड़ को लेकर मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार कार्यवाही शुरू कर दी गई है। सभी प्रतिवेदन संचालनालय को शीघ्र ही भेज दिये जाएंगे।
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रात को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीएम निवास में खनिज महकमे की बैठक में सिद्धा पहाड़ को लेकर स्पष्ट किया कि यहां पर कोई खनन अनुमति नहीं जारी होगी। साथ ही इस तरह के आस्था के किसी भी स्थल पर कोई खनन नहीं होना चाहिए। पूर्व में सतना दौरे के दौरान सिद्धा पहाड़ सहित यहां के धर्म स्थल को लेकर उन्होंने जो घोषणा की थी उसका पालन करने के भी निर्देश दिए। इसको लेकर अब विभागों में सीएम घोषणा की तलाश शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री ने सतना जिले में अपने दौरे पर 84 कोसीय परिक्रमा स्थल के विकास सहित धार्मिक महत्व के स्थलों को खनन मुक्त क्षेत्र करने की बात कही थी। इस बैठक में खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह, मुख्य सचिव इकबाल सिंह वैंस, प्रमुख सचिव खनिज सुखबीर सिंह सहित अन्य मौजूद रहे।
सीएम के आने के संकेत स्थानीय जनों ने बताया कि यहां पर जिस तरीके की सरकारी गतिविधियां चल रही हैं उससे लग रहा है कि मुख्यमंत्री यहां पहुंच सकते हैं। क्षेत्र में सीएम के आने को लेकर हर्ष भरा इंतजार है और इनकी अपेक्षा है कि क्षेत्र की दशकों पुरानी मांग को मुख्यमंत्री न केवल सुनेंगे बल्कि पूरा करेंगे। इससे इस धर्म क्षेत्र का विकास होगा साथ ही 84 कोसीय परिक्रमा के स्थलों में श्रद्धालुजनों को आसानी होगी और इन स्थलों को नई पहचान भी मिलेगी।
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पवित्र पर्वत में बौद्धिक महाकुंभ आज शनिवार को सिद्धा पहाड़ में बौद्धिक महाकुंभ आयोजित किया गया है जिसमें सतना सहित आस-पास के जिलों के बुद्धिजीवी, पर्यावरण प्रेमी, संत समुदाय, पेंशनर समाज के अलावा स्थानीय जन मौजूद रहेंगे। विन्ध्य पुनरोदय मंच के संयोजक प्रणवीर सिंह हीरा ने बताया कि शनिवार को सिद्धा पर्वत पर बौद्धिक महाकुंभ का आयोजन किया गया है। इसमे विभिन्न जिलों के लोग पहुंचेंगे। मुख्यमंत्री द्वारा सिद्धा पहाड़ पर खनन की रोक की बात का स्वागत करते हुए कहा कि मामला इतना सा नहीं है। रोक तो इस पूरे धर्म स्थल के खनन पर लगनी चाहिए जो 84 कोसीय परिक्रमा के दायरे में आता है। इन स्थलों पर आज भी संत महात्मा लोग विचरने जाते हैं लेकिन खनन कारोबार के कारण विषम स्थितियां आती है। खनन के कारण राम के बहुत से प्रतीक नष्ट हो गए। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सरभंगा से लगे शुंभार पर्वत की खदान है। पहले यहां से यज्ञ वेदी तक जाने का रास्ता था लेकिन खनन कारोबारियों ने इस धार्मिक महत्व के स्थल को खोद कर नष्ट कर दिया। ऐसे बहुत से स्थल है जहां आज भी खनन चल रहा है। इन सब पर चिंता की जाकर एक मांग पत्र तैयार किया जाएगा।
बजरंग दल ने सिद्धा में राम के प्रमाण मांगने वालों के लिये किया सद्बुद्धि यज्ञ
पवित्र सिद्धा पर्वत पर खनन लीज धारक श्याम बंसल ने विगत दिवस कलेक्ट्रेट में बजरंग दल के पदाधिकारियों से प्रभु श्री राम की मौजूदगी के प्रमाण मांगे थे। कहा था कि अगर यहां राम की मौजूदगी के प्रमाण दे दोगे तो हम अपने से खनन लीज छोड़ देंगे। इस पर विवाद की स्थिति बन गई थी। बजरंग दल के पदाधिकारियों ने न केवल उसे वहां धर्म द्रोही ठहराया था बल्कि उसे सनातन धर्मावलंबियों की आस्था पर कुठाराघात भी बताया था। इसको लेकर शुक्रवार को बजरंग दल ने सद्बुद्धि यज्ञ किया। जिसमें श्याम बंसल सहित धर्म क्षेत्र में खनन करने वालों को सद्बुद्धि देने आहुतियां दी गई। दल ने इन्हें कलियुग की राक्षस प्रजाति निरूपित करते हुए भगवान से इन्हें सही राह पर चलने की प्रार्थना की।
पवित्र सिद्धा पर्वत पर खनन लीज धारक श्याम बंसल ने विगत दिवस कलेक्ट्रेट में बजरंग दल के पदाधिकारियों से प्रभु श्री राम की मौजूदगी के प्रमाण मांगे थे। कहा था कि अगर यहां राम की मौजूदगी के प्रमाण दे दोगे तो हम अपने से खनन लीज छोड़ देंगे। इस पर विवाद की स्थिति बन गई थी। बजरंग दल के पदाधिकारियों ने न केवल उसे वहां धर्म द्रोही ठहराया था बल्कि उसे सनातन धर्मावलंबियों की आस्था पर कुठाराघात भी बताया था। इसको लेकर शुक्रवार को बजरंग दल ने सद्बुद्धि यज्ञ किया। जिसमें श्याम बंसल सहित धर्म क्षेत्र में खनन करने वालों को सद्बुद्धि देने आहुतियां दी गई। दल ने इन्हें कलियुग की राक्षस प्रजाति निरूपित करते हुए भगवान से इन्हें सही राह पर चलने की प्रार्थना की।
अभयारण्य की फाइल पर शीघ्र निर्णय करे शासन कांग्रेस नेता रितेश त्रिपाठी ने कहा कि सरभंगा, बांका, वीरपुर क्षेत्र के जंगलों को शामिल करते हुए बाघ बाहुल्य क्षेत्रों में अभयारण्य या टाइगर रिजर्व का प्रस्ताव भोपाल भेजा गया था। बाघों के संरक्षण से जुड़ा यह अहम प्रस्ताव किसके इशारे पर रुका हुआ है जबकि इस क्षेत्र में आज दो दर्जन बाघ मौजूद है और कई बाघों के शिकार के मामले भी सामने आ चुके हैं। अभयारण्य बनने से न केवल यहां निवासरत आदिवासियों की रोजी रोटी आसान होगी बल्कि पर्यटन बढ़ने से क्षेत्र का विकास होगा। उन्होंने अभयारण्य घोषित करने की प्रक्रिया तेजी से प्रारंभ करने की मांग की है।