ये भी पढ़ें: कमलनाथ को बड़ा झटका, पूर्व मंत्री के साथ भाजपा ऑफिस पहुंचे ‘बागी’ विधायक, कहा- मैं बीजेपी में था और उसी में रहूंगा सिर्फ अपने क्षेत्र के विकास के लिए सीएम कमलनाथ और मंत्रियों के संपर्क में था। मीडिया से कहा कि, कांग्रेस एक दिशा हीन पार्टी है। झगड़े किस परिवार में नहीं होते है। मैं बीजेपी में ही हूं और रहूंगा भी। शहडोल जिले के ब्यौहारी विधानसभा से विधायक शरद कौल भी हमारे साथी है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह की मौजूदगी में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इस पूरे मामले पर सफाई दी।
बता दें कि प्रदेश की राजनीति में दल-बदलू नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने मंगलवार को एक बार फिर अपना पाला बदल दिया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने बयान में कहा कि नारायण त्रिपाठी कहीं नहीं गए थे। वह बीजेपी में थे, हैं और रहेंगे। वहीं पूर्व मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बोले जिन लोगों ने अपने विधायकों की संख्या 114 से बढ़ाकर 116 बताई। वो अपनी संख्या में फिर से सुधार कर लें। कांग्रेस प्रलोभन की राजनीति नहीं कर पाएगी। सीएम से मिलने का मतलब ये नहीं होता है कि वो उनकी पार्टी में शामिल हो गए हैं। वहीं सरकार गिराने से जुड़े सवाल पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने फिर से दोहराया कि कमलनाथ सरकार अपने अंतर्कलह से गिरेगी। उन्होंने साफ कर दिया कि नारायण त्रिपाठी झाबुआ उपचुनाव में पार्टी के लिए भी काम करेंगे।
जुलाई में मारी थी कलटी
जुलाई में विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा के मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी और ब्योहारी विधायक शरद कोल ने क्रॉस वोटिंग की थी। इसके बाद दोनों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ की मौजूदगी में भाजपा और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर गंभीर आरोप लगाए थे। इस दौरान दोनों विधायकों ने कांग्रेस सरकार को समर्थन देने की घोषणा की थी। नारायण त्रिपाठी ने इसे अपनी घर वापसी बताया था। त्रिपाठी 2014 में भाजपा में शामिल होने से पहले कांग्रेस के विधायक थे। वहीं शरद कोल भी 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले शहडोल में कांग्रेस के उपाध्यक्ष थे।
जुलाई में विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा के मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी और ब्योहारी विधायक शरद कोल ने क्रॉस वोटिंग की थी। इसके बाद दोनों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ की मौजूदगी में भाजपा और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर गंभीर आरोप लगाए थे। इस दौरान दोनों विधायकों ने कांग्रेस सरकार को समर्थन देने की घोषणा की थी। नारायण त्रिपाठी ने इसे अपनी घर वापसी बताया था। त्रिपाठी 2014 में भाजपा में शामिल होने से पहले कांग्रेस के विधायक थे। वहीं शरद कोल भी 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले शहडोल में कांग्रेस के उपाध्यक्ष थे।