पंडित दीपक पाण्डेय बताते हैं कि पौराणिक मान्यता है कि जब देवी सती को अपने कंधे पर लेकर भगवान शिव शोक में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा रहे थे तब देवी सती का हार इसी त्रिकूट पहाड़ी पर गिरा था। देवी सती का हार यहां गिरने की वजह से ही इस स्थान का नाम माई का हार यानी मैहर पड़ा। एक मान्यता यह भी है कि यहां सर्वप्रथम आदिगुरु शंकराचार्य ने 9वीं.10वीं शताब्दी में पूजा अर्चना की थी। मंदिर में मूर्ति स्थापना विक्रम संवत 559 में की गई थी।
नवरात्र में होगी विशेष पूजा अर्चना, बदला समय
मैहर में नवरात्र में मां शारदा की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। नवरात्र में षष्ठमी से मां का सोलह श्रृंगार शुरू होगा जोकि नवमीं तक निरंतर चलता रहेगा। इसके साथ ही मां शारदा के पट नवरात्र में सुबह 3 बजे से खुलेंगे। भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर को रात 11 बजे तक खोला जाएगा जिससे ज्यादा से ज्यादा भक्तों को मां के दर्शन मिले सकेंगे। इस दौरान दोपहर में कुछ मिनटों के लिए मंदिर में प्रवेश बंद रहेगा। जानकारी के अनुसार दोपहर में 1 बजे भोग के समय 5 मिनट के लिए ही मंदिर बंद होगा। इस नवरात्र लगभग 8 से 10 लाख दर्शनार्थियों के आने का अनुमान है।
मैहर में नवरात्र में मां शारदा की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। नवरात्र में षष्ठमी से मां का सोलह श्रृंगार शुरू होगा जोकि नवमीं तक निरंतर चलता रहेगा। इसके साथ ही मां शारदा के पट नवरात्र में सुबह 3 बजे से खुलेंगे। भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर को रात 11 बजे तक खोला जाएगा जिससे ज्यादा से ज्यादा भक्तों को मां के दर्शन मिले सकेंगे। इस दौरान दोपहर में कुछ मिनटों के लिए मंदिर में प्रवेश बंद रहेगा। जानकारी के अनुसार दोपहर में 1 बजे भोग के समय 5 मिनट के लिए ही मंदिर बंद होगा। इस नवरात्र लगभग 8 से 10 लाख दर्शनार्थियों के आने का अनुमान है।
नवरात्र को लेकर सजा भरजुना मंदिर।
सतना से महज 12 किलो मीटर दूर भरजुना गांव में भरजुना देवी मंदिर है। मां की मूर्ति तो छोटी है लेकिन उनकी 18 भुजाएं हैं। पंडित विकास नारायण द्विवेदी ने बताया कि मंदिर में विराजित मां भवानी साक्षात महालक्ष्मी का रूप है। भरजुना माता अंधों को आंख का वरदान देने के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि उनके चरणों का जल आंख में लगाने से नेत्रों की ज्योति बढ़ जाती है। जिन भक्तों की मन्नत पूरी होती है वो मंदिर में मां को चांदी की आंख भी चढ़ाते हैं। पुजारी ने बताया कि यह पहले राजा रुक्म की राजधानी कुंदनपुर थी। यहां देवी रुक्मणी मां महालक्ष्मी की पूजा करने आती थी।
सतना से महज 12 किलो मीटर दूर भरजुना गांव में भरजुना देवी मंदिर है। मां की मूर्ति तो छोटी है लेकिन उनकी 18 भुजाएं हैं। पंडित विकास नारायण द्विवेदी ने बताया कि मंदिर में विराजित मां भवानी साक्षात महालक्ष्मी का रूप है। भरजुना माता अंधों को आंख का वरदान देने के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि उनके चरणों का जल आंख में लगाने से नेत्रों की ज्योति बढ़ जाती है। जिन भक्तों की मन्नत पूरी होती है वो मंदिर में मां को चांदी की आंख भी चढ़ाते हैं। पुजारी ने बताया कि यह पहले राजा रुक्म की राजधानी कुंदनपुर थी। यहां देवी रुक्मणी मां महालक्ष्मी की पूजा करने आती थी।
नवरात्रि में आज से 5 बजे की जगह 4 बजे भरजुना देवी का मंदिर खुलेगा। स्नानए श्रृंगार के बाद 6 बजे से भक्तों को माता के दर्शन मिलेगे। दोपहर में अब सिर्फ मंदिर के पट सिर्फ 30 मिनट के लिए बंद होंगे। वहीं रात्रि में 10 बजे मंदिर के पट बंद होंगे। पूरे नौ दिनों तक भरजुना में भव्य मेला लगेगा जिसमें दूरण्दूर से लोग पहुंचते हैं।