कनेक्टिविटी समस्या
बघेलखंड व बुंदेलखंड में फिल्म शूट करने के लिए लोकेशन बहुत हैं। लेकिन, कनेक्टिविटी की समस्या है। फ्लाइट रूट है नहीं। आज के समय में एक कैमरामैन व टेक्नीशियन भी फ्लाइट में चलता है। ऐसे में पूरी टीम के साथ बघेलखंड और बुंदेलखंड के किसी लोकेशन पर पहुंचना आसान नहीं होता। अगर, कोशिश भी करें तो किराया ही बहुत हो जाता है। समय अलग से बर्बाद होता है। इसलिए फिल्म स्टार को ला पाना चुनौती है।
बघेलखंड व बुंदेलखंड में फिल्म शूट करने के लिए लोकेशन बहुत हैं। लेकिन, कनेक्टिविटी की समस्या है। फ्लाइट रूट है नहीं। आज के समय में एक कैमरामैन व टेक्नीशियन भी फ्लाइट में चलता है। ऐसे में पूरी टीम के साथ बघेलखंड और बुंदेलखंड के किसी लोकेशन पर पहुंचना आसान नहीं होता। अगर, कोशिश भी करें तो किराया ही बहुत हो जाता है। समय अलग से बर्बाद होता है। इसलिए फिल्म स्टार को ला पाना चुनौती है।
फुहड़ सिनेमा से विश्वास खोया
बघेलखंड और बुंदेलखंड में फिल्म बनाने के नाम कुछ लोग फूहड़ सिनेमा बनाते हैं। द्विअर्थी शब्दों का उपयोग करते हैं। ऐसे में गंभीर दर्शक फिल्म से दूर होता है। फिर कोई गंभीर मुद्दे पर भी फिल्म बनती है तो लोग परिवार के साथ फिल्म देखने नहीं जाते। किसी भी सिनेमा को फूहड़ता के बल पर स्थापित नहीं किया जा सकता।
बघेलखंड और बुंदेलखंड में फिल्म बनाने के नाम कुछ लोग फूहड़ सिनेमा बनाते हैं। द्विअर्थी शब्दों का उपयोग करते हैं। ऐसे में गंभीर दर्शक फिल्म से दूर होता है। फिर कोई गंभीर मुद्दे पर भी फिल्म बनती है तो लोग परिवार के साथ फिल्म देखने नहीं जाते। किसी भी सिनेमा को फूहड़ता के बल पर स्थापित नहीं किया जा सकता।
एक व्यक्ति से कुछ नहीं होगा
बतौर बुंदेला, सिनेमा उद्योग में बड़े पैमाने पर पूंजी लगती है। अगर स्थानीय फिल्म भी बनती है तो १५-२० करोड़ की पूंजी लगती है। ऐसे में एक ही व्यक्ति बार-बार फिल्म नहीं बना सकता। कई बड़े घरानों को आगे आना होगा। इससे स्थानीय सिनेमा संघर्ष कर सकता है और एक समय ऐसा भी आएगा कि अपना स्थापित सिनेमा होगा।
बतौर बुंदेला, सिनेमा उद्योग में बड़े पैमाने पर पूंजी लगती है। अगर स्थानीय फिल्म भी बनती है तो १५-२० करोड़ की पूंजी लगती है। ऐसे में एक ही व्यक्ति बार-बार फिल्म नहीं बना सकता। कई बड़े घरानों को आगे आना होगा। इससे स्थानीय सिनेमा संघर्ष कर सकता है और एक समय ऐसा भी आएगा कि अपना स्थापित सिनेमा होगा।
खजुराहो फिल्म महोत्सव 17 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है। सात दिवसीय आयोजन में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फिल्मों के साथ-साथ स्थानीय फिल्मों को दिखाया जाएगा। बघेलखंड व बुंदेलखंड की फिल्म को भी स्थान दिया जाएगा। पूरे महोत्सव की जान टपरा टॉकिज होगी। चार विषयों के मद्देनजर फिल्मों की प्रस्तुति होगी। इस संबंध में अभिनेता राजा बुंदेला ने बताया कि महिला सशक्तिकरण, देश के रक्षा से जुड़े जवान, किसान व देश का सुनहरा आज और कल विषय को शामिल किया गया है। इसका आयोजन तीन साल पहले शुरू हुआ था। पहला महोत्सव तीन दिन का था। दूसरा पांच दिवसीय था। अब 7 दिवसीय आयोजन होगा। इस बार आयोजन तीन शहर पन्ना, खजुराहो व छतरपुर में एक साथ होगा।
फिल्म स्टार होंगे आकर्षण
इसमें भाग लेने के लिए बड़े फिल्म स्टार भी खजुराहो पहुंचने वाले हैं। मनमोहन शेट्टी, प्रेम चोपड़ा, गोविंद निहलानी जैसे लोग शिरकत करेंगे। कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हिस्सा लेंगे।
इसमें भाग लेने के लिए बड़े फिल्म स्टार भी खजुराहो पहुंचने वाले हैं। मनमोहन शेट्टी, प्रेम चोपड़ा, गोविंद निहलानी जैसे लोग शिरकत करेंगे। कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हिस्सा लेंगे।