9 दिन बाद ही लगाई रोक
11 सितंबर को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए राज्य वित्त आयोग मद से जिला एवं जनपद पंचायतों के अधोसंरचना विकास के लिए आवंटन जारी किया गया था। जिलावार जारी की गई इस राशि के आहरण एवं व्यय पर अचानक ही 9 दिन बाद पंचायत राज संचालनालय ने रोक लगा दी। रोक क्यों और किस कारण से लगाई यह भी स्पष्ट नहीं किया है। बस इतना लिखा है कि इस राशि के आहरण एवं व्यय पर आगामी आदेश तक रोक लगाई जाती है। इस निधि से कोई भी निर्माण कार्य स्वीकृत या प्रारंभ न करने के लिए भी लिखा गया गया है।
11 सितंबर को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए राज्य वित्त आयोग मद से जिला एवं जनपद पंचायतों के अधोसंरचना विकास के लिए आवंटन जारी किया गया था। जिलावार जारी की गई इस राशि के आहरण एवं व्यय पर अचानक ही 9 दिन बाद पंचायत राज संचालनालय ने रोक लगा दी। रोक क्यों और किस कारण से लगाई यह भी स्पष्ट नहीं किया है। बस इतना लिखा है कि इस राशि के आहरण एवं व्यय पर आगामी आदेश तक रोक लगाई जाती है। इस निधि से कोई भी निर्माण कार्य स्वीकृत या प्रारंभ न करने के लिए भी लिखा गया गया है।
14.40 करोड़ रुपए का मिला था आवंटन
पंचायतराज संचालनालय ने 11 सितंबर को जिला एवं जनपद पंचायतों के निर्वाचित पदाधिकारियों के दिए गए प्रस्ताव के अनुसार कार्यों के लिए बजट आवंटन जारी किया गया था। सतना जिले को 14.40 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई थी। इसमें जिला पंचायत के लिए 4.30 करोड़ रुपए एवं जनपद के लिए 10.10 करोड़ रुपए जारी किए गए थे। आवंटन जारी होने के बाद जिला पंचायत एवं जनपद पंचायत सदस्यों से पंचायतों में विकास कार्यों के प्रस्ताव भी मांगे गए थे एवं इसका ब्लू प्रिंट भी तैयार कर लिया गया था। इससे पहले की प्रस्तावों का परीक्षण होकर कार्य स्वीकृति की स्थिति बनती, आयुक्त ने जारी आवंटन के आहरण व्यय पर रोक के आदेश जारी कर दिए।
पंचायतराज संचालनालय ने 11 सितंबर को जिला एवं जनपद पंचायतों के निर्वाचित पदाधिकारियों के दिए गए प्रस्ताव के अनुसार कार्यों के लिए बजट आवंटन जारी किया गया था। सतना जिले को 14.40 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई थी। इसमें जिला पंचायत के लिए 4.30 करोड़ रुपए एवं जनपद के लिए 10.10 करोड़ रुपए जारी किए गए थे। आवंटन जारी होने के बाद जिला पंचायत एवं जनपद पंचायत सदस्यों से पंचायतों में विकास कार्यों के प्रस्ताव भी मांगे गए थे एवं इसका ब्लू प्रिंट भी तैयार कर लिया गया था। इससे पहले की प्रस्तावों का परीक्षण होकर कार्य स्वीकृति की स्थिति बनती, आयुक्त ने जारी आवंटन के आहरण व्यय पर रोक के आदेश जारी कर दिए।
यह है राशि वितरण की स्थिति
जिपं अध्यक्ष के विकल्प पर 25 लाख, जिपं उपाध्यक्ष के विकल्प पर 15 लाख, जिला पंचायत के अन्य सदस्यों के विकल्प पर 10 लाख का वितरण और जनपद स्तर पर जनपद अध्यक्ष के विकल्प पर 12 लाख, जनपद उपाध्यक्ष के विकल्प पर 8 लाख तथा जनपद सदस्यों के विकल्प पर 4 लाख का वितरण निर्धारित है।
जिपं अध्यक्ष के विकल्प पर 25 लाख, जिपं उपाध्यक्ष के विकल्प पर 15 लाख, जिला पंचायत के अन्य सदस्यों के विकल्प पर 10 लाख का वितरण और जनपद स्तर पर जनपद अध्यक्ष के विकल्प पर 12 लाख, जनपद उपाध्यक्ष के विकल्प पर 8 लाख तथा जनपद सदस्यों के विकल्प पर 4 लाख का वितरण निर्धारित है।
इन कामों के दे सकते हैं प्रस्ताव
सीसी सड़क, पक्की नाली, बाउण्ड्री, शासकीय भवन निर्माण, यात्री प्रतीक्षालय, श्मसान शेड, कब्रिस्तान बाउण्ड्री, ग्राम चौपाल, सार्वजनिक चबूतरा, रंगमंच, दो भवनों को जोडऩे पेवर ब्लाक रोड, एलईडी स्ट्रीट लाइट, सार्वजनिक पार्क, सामुदायिक शौचालय, स्पॉट सोर्स आधारित नल जल योजना, भू-स्तर टंकी निर्माण, आरओ वाटर प्लांट स्थापना।
सीसी सड़क, पक्की नाली, बाउण्ड्री, शासकीय भवन निर्माण, यात्री प्रतीक्षालय, श्मसान शेड, कब्रिस्तान बाउण्ड्री, ग्राम चौपाल, सार्वजनिक चबूतरा, रंगमंच, दो भवनों को जोडऩे पेवर ब्लाक रोड, एलईडी स्ट्रीट लाइट, सार्वजनिक पार्क, सामुदायिक शौचालय, स्पॉट सोर्स आधारित नल जल योजना, भू-स्तर टंकी निर्माण, आरओ वाटर प्लांट स्थापना।
जिपं अध्यक्ष ने कहा-हो रही राजनीति
अधोसंरचना विकास आवंटन पर रोक लगाने से पंचायतीराज के जनप्रतिनिधियों का गुस्सा आसमान पर है। जनवरी में इनका कार्यकाल खत्म होना है। चुनावी वर्ष में जनता के बीच जाने से पहले वे जल्द से जल्द विकास कार्यों को पूरा कराना चाहते हैं। उनका कहना है कि बारिश और अन्य स्थितियों से ग्रामीण क्षेत्रों की स्थितियां खराब हो गई हैं। ऐसे में जनता के बीच जाना है और कार्य करना है, लेकिन आवंटन पर रोक लगाकर चुने हुए जनप्रतिनिधियों के हक मारने की कोशिश की जा रही है। जिला पंचायत अध्यक्ष सुधा सिंह ने कहा कि नवंबर से आचार संहिता लग जानी है। ऐसे में काम करने के लिए काफी कम वक्त है। लेकिन यह सरकार चुने हुए जनप्रतिनिधियों के हक पर भी राजनीति कर रही है। भाजपा सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए जो व्यवस्था तय की थी उस पर पलीता लगाने और जनप्रतिनिधियों की छवि पर कुठाराघात करने की सरकार की कोशिश है। उन्होंने कहा कि 27 को होने वाली बैठक में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाएगा। ऐसा ही मानना जिला एवं जनपद के अन्य जनप्रतिनिधियों का भी है।
अधोसंरचना विकास आवंटन पर रोक लगाने से पंचायतीराज के जनप्रतिनिधियों का गुस्सा आसमान पर है। जनवरी में इनका कार्यकाल खत्म होना है। चुनावी वर्ष में जनता के बीच जाने से पहले वे जल्द से जल्द विकास कार्यों को पूरा कराना चाहते हैं। उनका कहना है कि बारिश और अन्य स्थितियों से ग्रामीण क्षेत्रों की स्थितियां खराब हो गई हैं। ऐसे में जनता के बीच जाना है और कार्य करना है, लेकिन आवंटन पर रोक लगाकर चुने हुए जनप्रतिनिधियों के हक मारने की कोशिश की जा रही है। जिला पंचायत अध्यक्ष सुधा सिंह ने कहा कि नवंबर से आचार संहिता लग जानी है। ऐसे में काम करने के लिए काफी कम वक्त है। लेकिन यह सरकार चुने हुए जनप्रतिनिधियों के हक पर भी राजनीति कर रही है। भाजपा सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए जो व्यवस्था तय की थी उस पर पलीता लगाने और जनप्रतिनिधियों की छवि पर कुठाराघात करने की सरकार की कोशिश है। उन्होंने कहा कि 27 को होने वाली बैठक में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाएगा। ऐसा ही मानना जिला एवं जनपद के अन्य जनप्रतिनिधियों का भी है।