7 घंटे तड़पती रही गर्भवती: नागौद के वार्ड-11 के रहने वाले लवकुश साहू ने प्रसव पीड़ा होने पर पत्नी साक्षी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नागौद में भर्ती कराया। चिकित्सकों ने स्थिति सामान्य नहीं होना बताकर 23 जुलाई को सुबह 9 बजे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। सुबह 10 बजे साक्षी को जिला अस्पताल लेबर रूम में भर्ती कराया गया। गर्भवती 7 घंटे तक लेबर रूम में कराहती रही। इलाज तो दूर कोई झांकने भी नहीं आया। डॉक्टर और नर्सिंग स्टॉफ कागजी खानापूर्ति करता रहा। ऑपरेशन में देरी से कोख में ही दम घुट गया। ये आरोप गर्भवती के परिजनों ने लगाकर बवाल भी किया।
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गर्भ में सांस थम गई तो दस्तखत कराया
पति लवकुश ने आरोप लगाया कि जब गर्भस्थ शिशु की धड़कन नहीं मिली तो मुझे अंदर बुलाकर बताया। जब भर्ती कराया था तो दोनों स्वस्थ थे। धड़कन भी मिल रही थी। नर्सिंग स्टाफ बोला, दस्तखत करोगे तो रेफर कर देंगे, मुझे पत्नी की जान बचाने के लिए मजबूरी में हस्ताक्षर करने पड़े।
सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक तड़पती रही
साक्षी के पति ने आरोप लगाया, पत्नी की पहली डिलेवरी सामान्य हुई थी। दूसरी में जोखिम होने से रेफर किया था, लेकिन जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने इलाज तो दूर हाथ लगाना भी जरूरी नहीं समझा। वह सुबह 10 बजे से 5 बजे तक 7 घंटे प्रसव पीड़ा से कराहती रही।
दो दिन भर्ती रहने के बाद भी ऑपरेशन नहीं
जिला अस्पताल में दो दिन भर्ती रहने के बाद भी गर्भवती का ऑपरेशन नहीं किया गया। ऑपरेशन में देरी से जन्म लेने के पहले ही नवजात की सांस थम गई। बताया गया कि गर्भवती रुबी को 21 जुलाई की रात 12:28 बजे आशा कार्यकर्ता शोभा वर्मा ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया। गर्भवती ने 22 जुलाई रात 12 बजे सामान्य प्रसव के बाद मृत शिशु को जन्म दिया। अस्पताल प्रबंधन ने भी जांच में पाया कि हाईरिसक गर्भवती के इलाज में लापरवाही की गई। समय पर उपचार प्रबंधन किया जाता तो नवजात की जान बचाई जा सकती थी।
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बुढ़िया को बाहर भगाओ और रेफर कर दो
इलाज नहीं मिलने से गर्भवती साक्षी कराह रही थी। डॉ. प्रतिका सिंह, माया पाण्डेय समेत नर्सिंग स्टॉफ से लवकुश की मां हाथ जोड़कर इलाज करने का निवेदन करने लगी तो स्टॉफ बोला- बुढ़िया को बाहर भगाओ और इसकी बहू को रीवा रेफर कर दो।
मामले की जांच कराएंगे
सीएमएचओ डॉ. अशोक अवधिया का कहना है कि, मामले की जांच कराएंगे। चिकित्सकों समेत स्टाफ की लापरवाही सामने आई तो कार्रवाई करने का प्रतिवेदन संचालनालय स्वास्थ्य सेवा को भेजेंगे। वहीं, मामले को लेकर सिविल सर्जन डॉ. केएल सूर्यवंशी ने बताया कि, दोनों मामलों की जांच कराएंगे। चिकित्सक और स्टाफ की लापरवाही सामने आई तो सख्त कार्रवाई करेंगे।
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