आपको बता दें कि, रामचरित मानस और वाल्मीकि रामायण में स्पष्ट तौर पर उल्लेख है कि ये पहाड़ राक्षसों द्वारा ऋषि मुनियों को मारने के बाद उनके अस्थि समूह के ढेर से बना है लेकिन, सरकार यहां बाक्साइट, लेटराइट खनन के लिए अनुमति हिन्दू आस्था पर चोट की तरह गूंज सकती है। इसके लिए 30 सितंबर को जिले के सिद्धा गांव जो पहाड़ के नाम पर है, लोक सुनवाई की जाने वाली है।
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श्री रामचरितमानस में ऐसे आता है जिक्र
श्री रामचरितमानस की चौपाई में सिद्धा पहाड़ का जिक्र देखने को मिला है। राक्षसों द्वारा ऋषि मुनियों को मारकर उनकी अस्थियों से बनाए गए इस पहाड़ पर ही खड़े होकर श्री राम ने राक्षसों को नष्ट करने की प्रतिज्ञा लेते हुए कहा था कि, ‘निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह।’ (भावार्थ : श्री रामजी ने भुजा उठाकर प्रण लिया था कि, मैं पृथ्वी को राक्षसों से रहित कर दूंगा।)
पहले भी सरकार कर चुकी है पहाड़ बेचने की कोशिश
एक दशक पहले 2011-12 में भी सरकार ने इसकी कोशिश की थी लेकिन तब स्थानीय विरोध के चलते कार्यवाही रुक गई थी और तबके सतना कलेक्टर ने उस इलाके को खनन मुक्त घोषित कर दिया था। अब पर्यावरणीय स्वीकृति के नाम पर एक बार फिर कार्रवाई शुरू हुई है।
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