सतना. सतना जिले के मैहर में करीब 12 हजार वर्गफुट जगह में अक्षरधाम शैली का दिव्य दुर्गा मंदिर विंध्य आने वाले लोगों के लिए एक और तोहफा होगा। राजनगर (मैहर) स्थित केजेएस सीमेंट फैक्ट्री के आवासीय परिसर में यह मंदिर सात साल में बनकर तैयार हुआ है। 24-25 फरवरी को प्राणप्रतिष्ठा के बाद मंदिर के दरवाजे दर्शनार्थियों के लिए खोल दिए गए हैं। मंदिर का लोकार्पण समारोह कंपनी के चेयरमैन कमलजीत सिंह आहलूवालिया एवं वाइस चैयरमैन पवनजीत सिंह अहलूवालिया की मौजूदगी में हुआ। वाराणसी के 21 विद्वान पंडितों के निर्देशन में प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की गई।
IMAGE CREDIT: patrika मां शारदा मंदिर के लिए प्रसिद्ध मैहर में विन्ध्य क्षेत्र का अपनी शैली का विशिष्ट पूजा-स्थल बन गया है। इसके बाहर और भीतर दोनों तरफ मंदिर की नक्काशी और उसका सुन्दर आकार दर्शनीय है। इस मंदिर का शिलान्यास 19 नवम्बर 2011 को हुआ था। तब से ही लगातार काम चल रहा था। कुल 11,644 वर्ग फुट जमीन पर बने इस मंदिर में लगा हल्का गुलाबी पत्थर राजस्थान के बंशीपहाड़पुर से लाया गया। इसके बाद शिल्पकारों ने मैहर में ही खूबसूरत नक्काशी की और खूबसूरत चित्र उकेरे। पत्थर की बड़ी शिलाओं को मैहर तक लाना और फिर उन पत्थरों में फूल-पत्तों, बेल-बूटों की कलात्मक बारीक नक्काशी करना बेमिसाल था। इसमें महीनों कुशल कारीगर लगे। जयपुर से आए विशेष अनुभवी कारीगरों ने इस सपने को साकार किया।
IMAGE CREDIT: patrika जमीन से 62 फुट ऊंचा यह मंदिर सुन्दर बाग़-बगीचे से घिरा हुआ है और इसके सामने एक रंगीन फव्वारा इसमें चार चांद लगाता है। मंदिर में माँ दुर्गा के साथ श्रीराम दरबार, श्री लक्ष्मी नारायण, स्फटिक शिवलिंग और काले पत्थर के नंदी सहित हनुमान जी की प्रतिमा भी अलग-अलग गर्भगृहों में स्थापित की गई है।
IMAGE CREDIT: Patrika कम्पनी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुनील गुप्ता ने बताया कि प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए केजेएसके चेयरमैन कमलजीत सिंह अहलूवालिया करीब चार वर्ष बाद नई दिल्ली से सतना आए। इस मौके पर हुए समारोह में उनके साथ उनकी पत्नी मंजुला अहलूवालिया, वाइस चेयरमैन पवन अहलूवालिया, इंदु अहलूवालिया, कार्यकारी निदेशक मेधा अहलूवालिया और निदेशक कर्नल (रिटा.) नीरज वर्मा भी मौजूद थे।
IMAGE CREDIT: patrikaमुख्य गर्भगृह में मां दुर्गा विराजमान मंदिर के मुख्य गर्भगृह में मां दुर्गा विराजमान हैं जबकि उनके एक ओर भगवान शंकर और दूसरी ओर हनुमान जी विराजित किए गए हैं। मुख्य गर्भगृह के बाहर मंदिर के मध्यस्थल में एक ओर भगवान श्रीराम का दरबार लगा है तो दूसरी ओर जग के पालनकर्ता श्री लक्ष्मी-नारायण की प्रतिमा स्थापित की गई है। सबके लिए अलग मंडप तैयार किये गए हैं। मंदिर के बाहर हरे-भरे उद्यान ने मंदिर की खूबसूरती में सोने में सुहागे का काम किया है।
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