मैहर के ज्योतिषाचार्य पं. मोहनलाल द्विवेदी के अनुसार, ऐसी स्थिति में नीचे लिखे एक मंत्र का रोज विधि-विधान से जाप करने से संपूर्ण रामायण पढऩे का फल मिल सकता है। इस मंत्र को एक श्लोकी रामायण भी कहते हैं। इस मंत्र के जाप से सभी तरह की परेशानियां खत्म हो जाती हैं। भक्तों के घर में खुशहाली आती है। भगवान श्रीराम श्रद्धालुओं को मनचाहा वरदान भी देते है।
ये है मंत्र
आदि राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्।
वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीव संभाषणम्।।
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्।
पश्चाद् रावण कुंभकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।। ये है मंत्र जाप की संपूर्ण विधि
1. सुबह ब्रह्म मुहूर्त पर सबसे पहले उठे, फिर स्नान करें।
2. साफ वस्त्र धारणकर भगवान श्रीराम की पूजा करें।
3. भगवान श्रीराम के चित्र के सामने आसन लगाकर रुद्राक्ष की माला लेकर इस मंत्र का जाप करें।
4. प्रतिदिन पांच माला जाप करने से हर परेशानी समाप्त हो सकती है।
5. आसन कुश का हो तो ज्यादा अच्छा रहता है।
6. रोज एक ही समय पर, एक ही आसन पर बैठकर और एक ही माला से मंत्र जाप किया जाए तो यह मंत्र जल्दी ही सिद्ध हो सकता है।
7. इस मंत्र के जाप से संपूर्ण रामायण पढऩे का फल मिलता है।
8. कोशिश करें कि मंत्र जाप करने के बाद हवन भी करें।
9. मर्यादा पुरुषोत्तम की तहर सबका सम्मान करें।
10. मीठी वाणी बोलें। श्लोक में भी कहा गया है कि, ऐसी वाणी बोलिये मन का आपा खोए और को शीतल मिलय आपहूं शीतल हो गए।
आदि राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्।
वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीव संभाषणम्।।
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्।
पश्चाद् रावण कुंभकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।। ये है मंत्र जाप की संपूर्ण विधि
1. सुबह ब्रह्म मुहूर्त पर सबसे पहले उठे, फिर स्नान करें।
2. साफ वस्त्र धारणकर भगवान श्रीराम की पूजा करें।
3. भगवान श्रीराम के चित्र के सामने आसन लगाकर रुद्राक्ष की माला लेकर इस मंत्र का जाप करें।
4. प्रतिदिन पांच माला जाप करने से हर परेशानी समाप्त हो सकती है।
5. आसन कुश का हो तो ज्यादा अच्छा रहता है।
6. रोज एक ही समय पर, एक ही आसन पर बैठकर और एक ही माला से मंत्र जाप किया जाए तो यह मंत्र जल्दी ही सिद्ध हो सकता है।
7. इस मंत्र के जाप से संपूर्ण रामायण पढऩे का फल मिलता है।
8. कोशिश करें कि मंत्र जाप करने के बाद हवन भी करें।
9. मर्यादा पुरुषोत्तम की तहर सबका सम्मान करें।
10. मीठी वाणी बोलें। श्लोक में भी कहा गया है कि, ऐसी वाणी बोलिये मन का आपा खोए और को शीतल मिलय आपहूं शीतल हो गए।