ये भी पढ़ें: 6 लाख के इनामी डकैत बबुली कोल ने किया किसान का अपहरण सूचना के बाद थाने से लेकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय तक हड़कंप मचा हुआ था। खुद आईजी चंचल शेखर, डीआईजी अभिनाश शर्मा, पुलिस अधीक्षक रियाज इकबाल, एएसपी गौतम सोलंकी सहित धारकुंडी, सभापुर, कोटर, नयागांव, मझगवां सहित बरौंधा थाना प्रभारी अपने दल-बल के साथ जंगलों की सर्चिंग कर डकैतों पर दबाव बना रहे थे।
सूत्रों की मानें तो गांव में पहली चर्चा है कि पीडि़त परिवार ने डकैतों को 5 से 10 लाख रुपए फिरौती की रकम दी है। वहीं कुछ उधारी कर दिया गया है। जबकि दूसरे तरफ चर्चा है कि पुलिस के दबाव के कारण पीडि़त परिवार सीधे डकैतों को रुपए नहीं दे सकता था। इसलिए महजनी पर झोड़ दिया गया है। जैसे ही पुलिस इस मामले में ठंड हो जाएगी। वैसे ही डकैतों तक फिरौती की रकम पहुंचा दी जाएगी। ऐसा न करने पर फिर दोबार बदमाश पीडि़त परिवार को निशाना बना सकते है।
पुलिस का मुखबिर तंत्र फेल
तराई के सूत्र बताते है कि इन दिनों एमपी पुलिस का मुखबिर तंत्र बिल्कुल कमजोर हो गया है। पाठा के मुखबिरों का पुलिस से भरोसा उठ गया है। इसीलिए सतना पुलिस जंगलों की खाक छानते हुए हवा में तीर मारती रही। ऐसे में किसान के परिजनों का भी पुलिस से भरोसा उठ रहा था। जब पुलिस की ओर से कोई खास रिजल्ट नहीं मिला तो फिरौती की रकम देना ही मुनासिब समझा। छोटे मोटे डकैतों को पकड़ कर अक्सर सतना पुलिस वाहवाही लूटने में माहिर है।
तराई के सूत्र बताते है कि इन दिनों एमपी पुलिस का मुखबिर तंत्र बिल्कुल कमजोर हो गया है। पाठा के मुखबिरों का पुलिस से भरोसा उठ गया है। इसीलिए सतना पुलिस जंगलों की खाक छानते हुए हवा में तीर मारती रही। ऐसे में किसान के परिजनों का भी पुलिस से भरोसा उठ रहा था। जब पुलिस की ओर से कोई खास रिजल्ट नहीं मिला तो फिरौती की रकम देना ही मुनासिब समझा। छोटे मोटे डकैतों को पकड़ कर अक्सर सतना पुलिस वाहवाही लूटने में माहिर है।