चित्रकूट के तुलसी पीठाधीश्वर जगदगुरू रामभद्राचार्य महाराज की शुक्रवार की सुबह तबीयत अचानक बिगड़ गई। छाती में दर्ज की शिकायत के बाद उन्हें आगरा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां डाक्टरों की निगरानी में उनका इलाज च रहा है। डाक्टरों ने फिलहाल तबीयत को ठीक बताया है, चेस्ट में इंफेक्शन के कारण उन्हें भर्ती किया गया है।
कौन हैं जगदगुरू रामभद्राचार्य
मध्यप्रदेश के चित्रकूट में तुलसी पीठ नाम से जगदगुरु रामभद्राचार्य का आश्रम है। रामभद्राचार्य जी एक विद्वान, शिक्षाविद, बहुभाषाविद, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्म गुरु हैं। दीक्षा लेने से पहले रामभद्राचार्य का नाम गिरिधर मिश्र था। वे चित्रकूट स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसीपीठ के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। रामभद्राचार्य जगदगुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति भी हैं। जगतगुरु रामभद्राचार्य जब दो साल के थे, तब उन्हें किसी रोग के कारण आंखों की ज्योति चले गई थी।
उन्होंने 700 श्लोकों वाली भगवत गीता मात्र 15 दिन में कंठस्थ कर ली थी। इस प्रकार 60 दिन में तुलसीदामस कृत श्रीरामचरित मानस को छंद सहित कंठस्थ कर लिया था। 22 भाषाएं बोलने में सक्षम रामभद्राचार्य उस समय ज्यादा चर्चाओं में आए थे, जब अयोध्या केस में ही इलाहाबाद कोर्ट में भी श्रीराम जन्मभूमि मंदिर स्थान को लेकर उन्होंने गवाही दी थी। उनके अनुसार अदालत में रामजन्मभूमि मंदिर के पक्ष में 437 मजबूत प्रमाण प्रस्तुत किए गए थे, जिसके आधार पर अदालत का फैसला राम मंदिर के पक्ष में आ सका था।