अन्नपूर्णा देवी को बचपन से वाद्य यंत्रों से लगाव था। अपने पिता व गुुरु बाबा अलाउद्दीन खान के मार्ग दर्शन में कई वाद्य यंत्रों पर महारत हासिल की। लेकिन, उनकी पहचान चंद्र सारंग यंत्र में निपुणता को लेकर थी। उन्होंने अपने सानिध्य में मैहर घराने की परपंरा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
भतीजे राजेश अली खा ने बताया कि उस्ताद अलाउद्दीन खान की समाधि मैहर के मदिना भवन में है। मैहर घराने के लोगों ने निर्णय लिया है कि अन्नपूर्णा देवी उनकी बेटी थी, लिहाजा उनके अस्थि कलश को मदिना भवन में स्थापित किया जाएगा। इस तरह अंतिम संस्कार मुंबई में होगा, उसके बाद अस्थि कलश मैहर लाया जाएगा।
मैहर घराने की परंपरा को शिष्य आगे बढ़ा रहे हैं। अन्नपूर्णा देवी के शिष्य भी मैहर घराने को अलग पहचान दे रहे हैं। इसमें आशीष अली खां, ध्यानेष खां, राजेश अली खां, नित्यानंद हल्दपुर, सुरेश व्यास, हरि प्रसाद चौरसिया, शिव कुमार शर्मा व डीएल काबरा सहित दर्जनों शिष्य हैं।