सतना

MP के इस शहर में सौंदर्यीकरण के नाम पर 7 करोड़ खर्च, फिर भी चौराहे बदहाल

निगम के लिए ‘सफेद हाथी’ बने शहर के चौराहे: सौंदर्यीकरण में सात करोड़ ‘साफ’, चौराहे बदहाल, चौराहा विकास के नाम पर हर साल खर्च हो रहे 30 लाख रुपए

सतनाJul 25, 2018 / 12:13 pm

suresh mishra

7 crore expenditure on beautification in satna semariya chauraha

सुखेंद्र मिश्र @ सतना। शहर के प्रमुख चौराहे निगम प्रशासन के लिए सफेद हाथी साबित हो रहे हैं। इन चौराहों के सौंदर्यीकरण एवं विकास के नाम पर निगम हर साल जनता का पैसा पानी की तरह बहाता है। फिर भी 20 साल में निगम के अधिकारी शहर में एक भी एेसा चौराहा विकसित नहीं कर पाए, जिसे शहर का आदर्श चौराहा कहा जा सके। चौराहा सौंदर्यीकरण का प्रोजेक्ट निगम इंजीनियर एवं ठेकेदारों के लिए दुधारू गाय बन गया है।
शहर के प्रमुख पांच चौराहों के कायाकल्प एवं विकास पर निगम प्रशासन ने अब तक कितनी राशि खर्च की? जब इसकी पड़ताल की गई तो आंकड़े चौंकाने वाले निकले। निगम के आय-व्यय पत्रक के अनुसार बीते 15 साल में चौराहों के सौंदर्यीकरण पर 7 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि निगम चौराहों के विकास एवं सौंदर्यीकरण के नाम पर हर साल 30 लाख रुपए बजट खर्च कर रहा है।
किस महापौर के कार्यकाल में क्या हुआ
1. विमला पाण्डेय: चौराहों पर महापुरुषों की मूर्तियों की स्थापना, चौराहा विकास तथा सौंदर्यीकरण के लिए आर्टीफीसियल लाइट एवं पेड़ लगाए गए। इनके कार्यकाल में 3 लाख रुपए प्रति नग चौराहों पर लगाए गए। प्लॉस्टिक के नारियल पेड़ सुर्खियों में थे।
2. पुष्कर सिंह तोमर: सौंदर्यीकरण एवं उनके विकास पर जोर दिया। पांच साल के कार्यकाल में चौराहों के चौड़ीकरण व सौंदर्यीकरण पर सर्वाधिक राशि खर्च हुई। सेमरिया चौराहा, सर्किट हाउस चौराहा तथा सिविल लाइन चौराहे पर लगी प्रतिमा के चारों ओर टाइल्स तथा रंग-बिरंगे पौधे लगवाए गए।
3. ममता पाण्डेय: वर्तमान महापौर के कार्यकाल में भी निगम प्रशासन ने चौराहा सौंदर्यीकरण पर जमकर खर्च किया। चौराहों के रख-रखाव एवं विकास पर बीते चार साल में लगभग एक करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं पर इतनी राशि खर्च होने के बाद भी न चौराहे सुंदर हुए और न उनकी बदहाली दूर हुई।
सेमरिया चौराहे पर सर्वाधिक खर्च
सबसे व्यस्ततम तथा शहर के बीच में स्थित सेमरिया चौराहे के विकास एवं सौंदर्यीकरण पर निगम प्रशासन ने बीते 15 साल में सर्वाधिक राशि खर्च की है। पूर्व महापौर पुष्कर सिंह तोमर ने सेमरिया चौक विकास एवं सौंदर्यीकरण पर लगभग एक करोड़ रुपए खर्च किए। इसके बाद निगम प्रशासन ने सर्किट हाउस एवं सिविल लाइन चौराहे पर सर्वाधिक राशि खर्च की पर तीनों ही चौराहों की हालत वर्तमान में जर्जर है।
एक्सपर्ट बोले
चौराहों पर लगी प्रतिमाएं इनके विकास में सबसे बड़ी बाधा हैं। जब तक निगम प्रशासन सर्वसम्मति से निर्णय लेकर इन प्रतिमाओं को चौराहे से नहीं हटाएगा, तब तक चौराहे का सौंदर्यीकरण व विकास संभव नहींं। चौराहे पर जहां फब्बारा व सौंदर्यीकरण के अन्य काम होने चाहिए, वहां मूर्तियां खड़ी कर दी गई हैं।
उत्तम बैनर्जी, आर्कीटेक्ट
नगर निगम प्रशासन जब तक चौराहा विकास की व्यवस्थित डिजाइन तैयार नहीं कराएगा, तब तक चाहे जितने पैसे खर्च करे चौराहों का कायाकल्प नहीं होने वाला। टाइल्स व रंग बिरंगे पौधे लगा देने मात्र से कोई चौराहा आदर्श नहीं हो जाता। जरूरी है व्यवस्थित प्लानिंग और उस पर अमल। इसका निगम इंजीनियरों में अभाव है।
विपिन आर त्रिपाठी ‘छवि’, आर्कीटेक्ट
क्या कहते हैं पार्षद
सतना नगर निगम प्रदेश की सबसे भ्रष्ट संस्था है। नगर निगम में तीन दशक से पदस्थ इंजीनियरों ने विकास के नाम पर शहर को कबाड़ा कर दिया है। निगम इंजीनियरों की प्राथमिकता में चौराहों का सौंदर्यीकरण कभी रहा ही नहीं। यह सिर्फ चौराहा विकास के नाम पर जनता का का पैसा लूट रहे हैं। यदि इसकी जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए तो चौराहा विकास की पोल खुल जाएगी।
राम कुमार तिवारी, पूर्व नेता प्रतिपक्ष नगर निगम
दूरदर्शिता की कमी
यह बात सही है कि चौराहों के सौंदर्यीकरण पर हर साल लाखों रुपए खर्च होने के बाद भी शहर का एक भी चौराहा एेसा नहीं जिसे हम आदर्श कह सकें। इसके लिए निगम प्रशासन जिम्मेदार है। निगम इंजीनियरों ने आज तक चौराहा विकास की कोई दूरगामी योजना नहीं बनाई। इसका परिणाम यह है कि १५ साल में करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी चौराहे बदहाल हैं।
भगवती पाण्डेय, पार्षद वार्ड 22

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