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रायबरेली में ट्रैफिक सिस्टम ने बढ़ाई जाम की समस्या, जानिए कैसे बढ़ी ये बीमारी

Samvad Setu – पत्रिका का संवाद सेतु कार्यक्रम जनता की बात सरकार तक और सरकार की बात जनता तक पहुंचाने का एक माध्यम है। रायबरेली में 12 दिसंबर, रविवार को संवाद सेतु कार्यक्रम को पत्रिका ग्रुप के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी संबोधित करेंगे।

Dec 12, 2021 / 07:42 am

Sanjay Kumar Srivastava

रायबरेली में ट्रैफिक सिस्टम ने बढ़ाई जाम की समस्या, जानिए कैसे बढ़ी ये बीमारी

रायबरेली. (शिव सिंह) उत्तर प्रदेश के वीआईपी शहरों में शुमार रायबरेली की रंगत पर अब धूल के गुबार की परत चढ़ी हुई है। सुबह से लेकर शाम तक मुख्य शहर की सड़कों पर लगने वाले जाम से यहां के लोग परेशान हैं। जर्जर सड़कें, गड्ढे और जाम की तिकड़ी ने यहां के लोगों को जीना मुहाल कर दिया है लेकिन इसका अंत होता नजर नहीं आ रहा है।
रायबरेली का नाम आते ही लोगों के जेहन में एक ऐसे राजनीतिक परिवार का नाम जेहन में आता है जो देश के राजनीतिक रसूख वाले परिवारों में से एक है। देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ने रायबरेली की अपनी कर्मभूमि मानते हुए ऐसे-ऐेसे विकास कार्य किए हैं कि आज भी लोग याद करते हैं। वर्तमान में कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी लोकसभा में यहां के लोगों का प्रतिनिधित्व करती हैं लेकिन वक्त के घूमते पहिए ने शहर के विकास पर विराम सा लगा दिया है। वर्तमान में देखें तो शहर मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। शहरवासियों के आवागमन में सबसे बड़ी बाधा यहां सुबह-शाम लगने वाला जाम है।
शहर के घंटाघर चौक, सुपर मार्केट,पुरानी सब्जी मंडी,हाथी पार्क तिराहा, पुराना बस स्टैंड, दीवानी कचेहरी, डिग्री कॉलेज चौराहा, बस स्टाप से लेकर और एसजेएस पब्लिक स्कूल ऐसे स्थान हैं, जहां जाम जैसी स्थिति बनी रहती है। शहर के एक बाशिंदे अजय गुप्ता बताते हैं कि डिग्री कॉलेज चौराहा, रेलवे स्टेशन से लेकर मंशा देवी मंदिर तक, कहारों का अड्डा और बेलीगंज रोड पर सबसे अधिक जाम लगता है। जाम की स्थिति ऐसी है कि सुबह स्कूल जाने वाले बच्चों से लदे-फंदे रिक्शे नजर आते हैं। घंटों लगने वाले जाम ये स्कूली बच्चे परेशान होते रहते हैं और ट्रैफिक रेंगता रहता है।
ये है असली वजह

रायबरेली शहर में लगने वाले जाम की एक नहीं बल्कि कई वजहें हैं। सड़क किनारे सब्जी का ठेला लगाए बैठे किशोर का कहना है कि मुख्य सड़कों पर व्यापारियों ने दुकानों के शोरूम आगे बढ़ाकर सजा दिए हैं। हार्डवेयर, प्लास्टिक से लेकर रेत-गिट्टी तक का सामान सड़क तक फैला रहता है। सौंदर्यीकरण के नाम पर हो रहे कार्यों की गति भी सुस्त है और जगह-जगह फैला मलबा जाम को बढ़ावा दे रहा है।
नहीं है पार्किंग व्यवस्था

शहर में पार्किंग की कहीं भी व्यवस्थित नहीं है। शहर में कई बड़े बाजार, व्यावसायिक कांप्लेक्स और होटल संचालित हैं लेकिन ऐसे प्रतिष्ठानों की संख्या न्यूनतम हैं, जहां ग्राहकों के लिए पार्किंग व्यवस्था की गई है। विभिन्न बैंकों की शाखाओं में भी ग्राहकों की भारी भीड़ रहती है और लेकिन यहां आने वाले ग्राहकों के वाहनों की पार्किंग की समुचित व्यवस्था न होने के कारण सड़क पर ही खड़े रहते हैं। इतना ही नहीं ई रिक्शा और टेम्पों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है लेकिन इनके लिए कहीं स्टैंड की व्यवस्था नहीं है, वे दिन भर शहर में इधर-उधर रेंगते रहते हैं और सवारी देखते हुए ब्रेक लगा देते हैँ। ऐसे में पीछे चलने वाले वाहन खड़े होते हैं और जाम की स्थिति बनी रहती है।
लाखों का ठेका

नगरपालिका प्रशासन की ओर से जगह-जगह नो पार्किंग जोन बनाए गए हैं ताकि शहर की यातायात व्यवस्था बेहतर बने लेकिन इनमें कई जोन में दिन भर वाहन पार्क रहते हैं। यातायात व्यवस्था देखने वाले ट्रैफिक विभाग के जवान प्रमुख चौक-चौराहों पर व्यवस्था संभालने के लिए तैनात रहते हैं लेकिन उनकी यह कवायद बढ़ते जाम की समस्या से शहर को निजात नहीं दिला पा रही है।
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