शहर की जर्जर सड़कों पर गौर करें तो यहां शहर के घंटाघर से कैपरगंज, घंटाघर से सुपर मार्केट, घंटाघर से रेलवे स्टेशन,तक की सड़कें काफी जर्जर हैं। इतना ही नहीं शहर के दूसरे हिस्सों में बनी सड़कों की स्थिति देखें तो उनकी भी तस्वीर कहीं से अच्छी नहीं दिखााई पड़ती है। पत्रिका संवाददाता ने शहर की सड़कों का जायजा लिया तो पुरानी रायबरेली इलाके की सड़कें जर्जर हैं। इस क्षेत्र के ऑटो चालक मोहम्मद शानू ने पत्रिका से कहा कि इन जर्जर सड़कों में बने गड्ढे में उसकी ऑटो पलटने से एक महिला यात्री को गंभीर चोटें आ गई थीं। इनका कहना है कि अगर सही सड़क रहे तो ऑटो व ई रिक्शा पर सवारी करना अधिक सुविधाजनक हो सकता है। शानू के एक परिचित बताते हैं कि पुरानी रायबरेली, किलाबाजार, तिलियाकोट, सैयद राजन खतराना, नदी तीर,बड़ा कुआं, रायपुर,रेती राम का तालाब जैसे कई ऐसे इलाके हैं, जहां नगर पालिका में निर्वाचित जनप्रतिनिधि और अधिकारी दौरा करने से परहेज करते हैं। इन क्षेत्रों में अगर इन अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के दौरे हो तो शायद जगह-जगह गड्ढों से स्थानीय निवासियों को निजात मिल सके।
इस क्षेत्र की सड़कें अधिक खराब शहर को बाहरी इलाकों से जोडऩे वाली सड़कों की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। किलाबाजार से चंपादेवी मंदिर होते हुए त्रिपुला चौराहे तक, रतापुर चौराहे से लेकर बस स्टैंड तक की राह काफी मुश्किल है जबकि लखनऊ से आने वाले उत्तर प्रदेश परिवहन की बसें रायबरेली बस स्टैंड तक इसी रास्ते से पहुंचती हैं। गायत्री मंदिर के सामने की सड़क जर्जर है लेकिन विभाग से कई जगह पैबंद लगाकर राहत देने की कोशिश की है पर इससे सड़क और जर्जर हो गई है। यहां पास में दुकान लगाने वाले शख्स का कहना है कि इस शहर का नाम केवल कागजों में चमक रहा है और जमीनी हकीकत में धूल के गुबार हैं।
फुटपाथ पर लाखों खर्च, पेड़ के चबूतरे तक बना डाले शहर के एक बड़े व्यवसायी ने पत्रिका से कहा कि डिग्री कॉलेज-सुपर मार्केट रोड़ पर एक करोड़ से अधिक राशि व्यय करके इंटर लॉकिंग और पेड़ों के चबूतरे बनवाने का काम किया गया जबकि जरूरत थी सड़कों के मरम्मत व चौड़ीकरण की लेकिन अधिकारियों ने अपने मन मुताबिक कथित रूप से शहर के विकास को पंख लगा दिए। इनका कहना है कि शहर की जर्जर सड़कों की मरम्मत के लिए कोई प्लान नहीं है, अगर कोई रसूख वाला जनप्रतिनिधि है तो उसके क्षेत्र की कॉलोनियों की सड़कों की मरम्मत हो जाएगी , भले उसकी जरूरत न हो।
प्राथमिकताएं तय नहीं रायबरेली शहर में मूलभूत सुविधाओं का और बेहतर ढंग से विकसित करने की व्यवस्था बहुत धीमी है। यही कारण है कि जर्जर सड़कों की मरम्मत करने के प्रस्ताव फाइलों में कैद हैं। शहर की जनता को आवागमन में बहुत ही परेशानी हो रही है लेकिन उनकी आवाज प्रशासन तक नहीं पहुंच रही है। जन प्रतिनिधियों को लगता है कि शहर मे ंविकास के काम तेजी से हो रहे हैं लेकिन सड़कों की हालत बहुत कुछ बयां कर रही है।