यह है घटना बुधवार शाम को चंदौसी कोर्ट से लौटते समय तीन बंदियों शकील, कमल और धर्मपाल ने कैदी वैन में सिपाहियों पर हमला बोल दिया था। पहले उन्होंने सिपाहियों की आंख में मिर्ची पाउडर डाला और उसके बाद तमंचे से फायरिंग कर दी थी। इसमें सिपाही ब्रजपाल और हरेंद्र शहीद हो गए थे। वैन में मौजूद अन्य बंदियों ने पुलिस को बताया था कि दोनों ने अंतिम सांस तक बंदियों का मुकाबला किया था। गोली लगने के बाद भी ब्रजपाल ने एक बंदी का पैर पकड़ लिया था। जब तक उनकी सांस चलती रही, उन्होंने पैर नहीं छोड़ा था। हरेंद्र ने भी डटकर बदमाशों का सामना किया था। आंखों में मिर्च पाउडर झोंकने के बाद बदमाशों ने सिपाहियों पर फायरिंग कर दी थी। आंखों में मिर्च पाउडर पड़ने और सीने में गोलियां लगने के बावजूद सिपाहियों ने बंदियों को ललकारा था। उन्होंने अपनी बंदूकें भी लोड कर ली थीं। ब्रजपाल और हरेंद्र ने बंदियों को पकड़ा भी लेकिन उनकी सांसें थमती चली गईं।
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मां व बहन के साथ रहते थे ब्रजपाल सिपाही ब्रजपाल नया गांव नवीन नगर में मां, भांजियों व बहन के साथ रहते थे। वहीं, शहीद हरेंद्र आशियाना कॉलोनी में आरआरके इंटर कॉलेज के पीछे रहते थे। गुरुवार सुबह दोनों शहीदों को बहजोई पुलिस लाइन में अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान एडीजी जोन बरेली अविनाश चन्द्र, मुरादाबाद के एसएसपी अमित पाठक, संभल के एसपी यमुना प्रसाद, डीएम राकेश कुमार सिंह, एसपी सिटी अंकित मित्तल वहां मौजूद रहे। यह भी पढ़ें