सदन में लगे वंदे मातरम् के नारे मंगलवार को जब शफीकुर्रहमान बर्क संसद में शपथ लेने के लिए उठे तो सदन में वंदे मातरम् के नारे लगने लगे। शपथ लेने के बाद सपा सांसद ने वंदे मातरम् का विरोध किया। उन्होंने वंदे मातरम् कहने से इंकार कर दिया। उन्होंने नारा लगाया, ‘भारत का संविधान जिंदाबाद’। इतना ही नहीं उन्होंने कहा, वंदे मातरम् इस्लाम के खिलाफ है। हम इसे नहीं कह सकते हैं। बर्क की इस टिप्पणी के बाद भाजपा के कई सांसदों ने जोर-जोर से वंदे मातरम् के नारे लगाए। उन्होंने ‘भारत माता की जय’ और ‘जय श्री राम’ के नारे भी लगाए।
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पहले भी कर चुके हैं विरोध यह पहली बार नहीं है जब शफीकुर्रहमान बर्क ने संसद में वंदे मातरम् का विरोध किया है। इससे पहले भी वह ऐसा कर चुके हैं। इससे पहले उन्होंने वर्ष 2013 में बसपा सांसद रहते हुए सदन में वंदे मातरम् का विरोध करते हुए संसद से वॉकआउट किया था। जब 1997 में संसद के 50 साल पूरे होने पर स्वर्ण जयंती कार्यक्रम आयोजित हुआ था, उसमें भी उन्होंने ऐसा ही विरोध किया था। उनका कहना था कि वंदे मातरम् का मतलब भारत माता की पूजा या वंदना करना है। इस्लाम में पूजा करना जायज नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनाव 2019 के लोकसभा चुनाव में डाॅ. शफीकुर्रहमान बर्क संभल से सांसद बने हैं। उन्हें गठबंधन (सपा-बसपा-रालोद) की तरफ से मैदान में उतारा गया था। चुनाव में उन्हें करीब 594786 वोट मिले थे। बर्क ने भाजपा उम्मीदवार परमेश्वर लाल सैनी को 1 लाख 74 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। ऐसा करके बर्क पांचवीं बार संसद पहुंचे हैं। इतना ही नहीं 2019 में उन्होंने अपने जीवन का 17वां चुनाव लड़ा है, जिसे जीतकर वह 17वीं लोकसभा में पहुंचे हैं।
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उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा उम्रदराज सांसद वंदे मातरम् का हमेशा विरोध करने वाले सपा सांसद बर्क उत्तर प्रदेश से संसद में पहुंचने वालों में सबसे ज्यादा उम्रदराज सांसद हैं। इस समय उनकी उम्र 86 साल है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी वह संभल लोकसभा सीट से सपा के टिकट पर मैदान में उतरे थे। उस चुनाव में भाजपा के सत्यपाल सैनी ने करीब 5 हजार वोटों से उन्हें शिकस्त दी थी। संभल में हुआ है जन्म डाॅ. शफीकुर्रहमान बर्क का जन्म संभल में हुआ है। उनके पिता का नाम ए. रहमान है। उन्होंने 1952 में आगरा यूनिवर्सिटी से बीए किया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में आयोग को दिए शपथ पत्र के अनुसार, उनकी कुल संपत्ति 1.32 करोड़ रुपये है।
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मुलायम सिंह के साथ रखा चुनावी सियासत में कदम शफीकुर्रहमान बर्क ने चुनावी सियासत में 1967 में कदम रखा। खास बात यह है कि इसी साल सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने भी अपनी सियासी पारी की शुरुआत की थी। हालांकि, मुलायम सिंह यादव 1967 का चुनाव जीत गए लेकिन बर्क को असफलता मिली थी। बर्क ने अपने जीवन में 10 विधानसभा चुनाव लड़े हैं। इनमें से चार बार वह विधायक बने। यह भी पढ़ें
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राजनीतिक सफर – 1974 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीते और 1977 तक विधायक रहे। – इसके बाद वह वर्ष 1977, 1985 और 1989 में विधायक बने। – मुलायम सिंह यादव की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे। – वर्ष 1996 में मुरादाबाद से सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद बने। – 1998 में दोबारा सपा के टिकट पर मुरादाबाद लोकसभा सीट से जीते। – 2004 में तीसरी बार सपा के टिकट पर मुरादाबाद से संसद पहुंचे।
– 2009 का लोकसभा चुनाव बसपा के टिकट पर संभल से लड़ा और जीते। – 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले सपा में चले गए और संभल से चुनाव लड़ा। भाजपा उम्मीदवार सत्यपाल सैनी से 5 हजार वोटों से शिकस्त मिली थी।
– टिकट को लेकर 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) ज्वाइन कर ली। उस चुनाव में संभल विधानसभा सीट से उनके पोते जियाउर रहमान बर्क को मौका दिया गया था लेकिन वह चुनाव हार गए।