
संभल हिंसा पर बोले सांसद बर्क- संभल हिंसा में मेरा कोई हाथ नहीं
Sambhal News Today: संभल हिंसा मामले में समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क न्यायिक जांच आयोग के समक्ष पेश होने के लिए लखनऊ पहुंचे। पेशी से पहले उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, "मैं जवाब देने जा रहा हूं। न्यायिक आयोग ने बुलाया है तो मेरी जिम्मेदारी बनती है। मैं हर सवाल का जवाब दूंगा और मुझे इंसाफ की उम्मीद है।"
सांसद बर्क ने खुद पर लगे आरोपों को पूरी तरह बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा, "जिस दिन हिंसा हुई, मैं मौके पर मौजूद ही नहीं था। मेरी कोई वॉयस रिकॉर्डिंग भी नहीं है, फिर भी मुझे फंसाया जा रहा है। मैंने SIT की जांच में भी पूरा सहयोग किया है। मुझसे तीन घंटे तक पूछताछ की गई थी और हर सवाल का जवाब दिया था। पुलिस की रिपोर्ट में मेरे खिलाफ जो बातें लिखी गई हैं, वे गलत हैं।"
बर्क ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा, "अगर पुलिस के कहने से ही सच्चाई सामने आ जाती, तो अदालतों की जरूरत ही नहीं होती। मुझे पूरा विश्वास है कि कोर्ट से मुझे इंसाफ मिलेगा।" उन्होंने आगे कहा, "मैं हिंसा में विश्वास नहीं करता, देश में कानून-व्यवस्था का राज होना चाहिए।"
सांसद बर्क के साथ सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल भी आयोग के समक्ष पेश हुए और अपना पक्ष रखा। इससे पहले संभल के एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई भी आयोग के समक्ष पेश होकर रिपोर्ट और साक्ष्य सौंप चुके हैं।
सरकार के आदेश पर तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग मामले की जांच कर रहा है। आयोग की अध्यक्षता रिटायर्ड जज देवेंद्र अरोड़ा कर रहे हैं, जबकि पूर्व डीजीपी एके जैन और पूर्व आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद सदस्य हैं। आयोग की टीम अब तक चार बार संभल जाकर जांच कर चुकी है।
8 अप्रैल को सांसद बर्क 12 वकीलों के साथ नखासा थाने पहुंचे थे, जहां SIT ने उनसे तीन घंटे तक पूछताछ की थी। इस दौरान उनसे करीब 50 सवाल पूछे गए। बर्क ने इनमें से लगभग 20-25 सवालों के सीधे जवाब दिए, जबकि कई सवालों पर चुप्पी साध ली या गोलमोल जवाब दिए। पूछताछ के दौरान वे तनाव में नजर आए।
संभल पुलिस ने 26 मार्च को दिल्ली जाकर बर्क को नोटिस थमाया था, जिसमें 8 अप्रैल को SIT के सामने पेश होने को कहा गया था। वहीं, 4 अप्रैल को जामा मस्जिद के सदर जफर अली एडवोकेट ने SIT को बताया था कि बर्क ने उनसे सर्वे रोकने की बात कही थी और कहा था कि "शाही जामा मस्जिद हमारी है और हमारी ही रहेगी।"
24 नवंबर 2024 की सुबह कोर्ट के आदेश पर एडवोकेट कमिश्नर की टीम जामा मस्जिद का सर्वे करने पहुंची थी। यह देख मुस्लिम समुदाय के लोग आक्रोशित हो गए और हजारों की संख्या में जमा हो गए। कुछ ही देर में पथराव शुरू हो गया, जिससे भगदड़ मच गई।
पुलिस ने भीड़ को काबू करने के लिए आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लिया। उग्र भीड़ ने 3 चौपहिया वाहनों और 5 बाइकों को आग के हवाले कर दिया। सड़कों से 4 ट्रॉली पत्थर हटाए गए। इस हिंसा में 4 युवकों की गोली लगने से मौत हो गई, जबकि सीओ अनुज चौधरी, एसपी के PRO समेत 15 पुलिसकर्मी घायल हो गए।
हिंसा के बाद संभल पुलिस ने सांसद बर्क, विधायक के बेटे सोहेल इकबाल और 800 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया। अब तक मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली समेत 80 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
23 मार्च को जफर अली को गिरफ्तार किया गया था। जेल भेजे जाने से पहले उन्होंने कहा था, "मैंने हिंसा के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की, इसलिए मुझे फंसाया गया। मैंने पुलिस की सच्चाई बताई थी कि मारे गए लोग पुलिस की गोली से मरे हैं।"
4 अप्रैल को SIT ने ADJ द्वितीय कोर्ट में केस डायरी दाखिल की। इसमें दावा किया गया कि सांसद बर्क ने 23 नवंबर की रात जफर अली को फोन करके सर्वे रुकवाने और भीड़ जुटाने को कहा था। फोन कॉल की टाइमिंग और मैसेजिंग डिटेल भी केस डायरी में शामिल हैं।
SIT के अनुसार, बर्क ने जफर से कहा था कि "मैं बेंगलुरु में हूं, लेकिन तुम लोग जमा करो, सर्वे किसी भी कीमत पर नहीं होना चाहिए।" हिंसा के बाद बर्क ने कथित रूप से जफर से कहा था कि "प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताओ कि लोग पुलिस की गोली से मरे हैं।"
Published on:
16 Apr 2025 03:25 pm
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