सहारनपुर सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होने के बाद इमरान चुनाव नहीं लड़ सकते थे। ऐसे में उनकी पत्नी सायमा को टिकट दिया गया है। बसपा के पश्चिमी यूपी प्रभारी शमसुद्दीन राइन ने कहा कि बहन जी ने सायमा मसूद के नाम पर मुहर लगाई है। मायावती इस फैसले के पीछे की 3 वजह हम आपको बता रहे हैं।
पहली वजह: मुस्लिमों को पार्टी की ओर वापस लाना इस साल हुए विधानसभा चुनावों में मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा सपा गठबंधन की ओर चला गया था। मायावती चुनाव के बाद से खुलेतौर पर मुस्लिमों से बसपा के साथ आने की बात कहती रही हैं। रामपुर उपचुनाव के बाद तो उन्होंने ट्वीट कर लिखा था कि मुस्लिम सपा को वोट देने से पहले फिर से सोच लें।
इमराम मसूद को पार्टी में लेने के बाद बसपा की ओर से साफ कहा गया था कि उनको खासतौर से मुस्लिमों को पार्टी से जोड़ने का काम दिया गया है। अब सायमा को टिकट के पीछे भी उनकी मुस्लिमों को अपनी ओर करने की सोच दिखती है।
इमरान ने सपा छोड़ते हुए अपनी और मुस्लिमों की अनदेखी का आरोप अखिलेश यादव पर लगाया है। मायावती उनकी पत्नी को लड़ाकर पश्चिम यूपी के मुस्लिमों के बीच ये संदेश देना चाहती हैं कि वो मुसलमानों का ज्यादा सम्मान करती हैं।
बहुजन समाज पार्टी को कई सालों तक मुस्लिमों के एक बड़े हिस्से का वोट मिलता रहा है। जो बीते कुछ सालों में छिटका है। मायावती इस निकाय चुनाव में मुस्लिमों को वापस लाने के प्रयास में हैं। इमरान को सहारनपुर से उतारकर वो पश्चिम यूपी में पहला दांव चल चुकी हैं।
दूसरी वजह: सहारनपुर के समीकरण किए अपनी मुट्ठी में सहारनपुर जिले का मायावती और बसपा की राजनीति में बहुत अहम रोल है। सहारनपुर की हरौडा सीट से मायावती विधायक भी रही हैं। सहारनपुर में वो मजबूत वापसी चाहती हैं लेकिन मौजूदा बसपा सांसद फजलुर्रहमान और इमरान मसूद के बीच की तल्खी भी किसी से छुपी नहीं है। सायमा के टिकट के ऐलान के दौरान भी फजलुर्रहमान नहीं दिखे।
इमरान को नगर निगम में उतारकर मायावती ने जिले के समीकरण भी साध लिए हैं। उन्होंने एक तरह से दोनों नेताओं के रास्ते अलग कर दिए हैं। एक सांसदी पर ध्यान दे तो दूसरा निगम में रहे। इमरान मसूद की पत्नी को मेयर का टिकट ना मिलता को सांसदी के लिए दोनों नेताओं में खींचतान बढ़ सकती थी। इस गुटबाजी से पार्टी को सीधा नुकसान होना था। जिसे मायावती ने काफी हद तक टाल दिया है।
यह भी पढ़ें
जयंत का 1500 गावों में डोर-टू-डोर जाने का प्लान, क्या चुपचाप लगाने जा रहे ‘4 चौधरी दांव’?
तीसरी वजह: इमरान भी नहीं दे सकेंगे उलाहना, मायावती को मिलेगा सपा पर हमले का मौका
इमरान मसूद कुछ समय पहले ही बसपा में शामिल हुए है। इमरान के बसपा पर पुराने तमाम तीखे हमलों के बावजूद मायावती ने उनको पार्टी में आते ही पश्चिम यूपी का संयोजक बनाया। इसके बाद अब उनकी पत्नी को मेयर का चुनाव लड़ाने का ऐलान किया है। ऐसे में मायावती ने अपनी साइड सेफ कर ली है।
मान लीजिए 2024 के लोकसभा चुनाव में मायावती इमरान को टिकट नहीं देती हैं तो उनके पास विरोध का ज्यादा मौका नहीं होगा। मायावती कह सकती हैं कि उनको वो संगठन में बड़े पद के साथ-साथ मेयर का टिकट दे चुकी हैं।
इसके साथ-साथ मायावती अब पश्चिमी यूपी में सपा पर ‘मुस्लिमों से धोखा’ करने के आरोप लगा ज्यादा हमलावर होंगी। वो इमरान के बहाने ये संदेश देने की कोशिश करेंगी कि सपा में उनको अपमानित किया गया लेकिन बसपा में आने पर लगातार उनकी सुनी जा रही है।