फजलुर्रहमान का नाम इमरान को क्यों नहीं आएगा पसंद?
सहारनपुर सीट पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद बसपा से सबसे तेजी से जो नाम सामने आया है, वो सांसद फजलुर्रमान की पत्नी का है। फजलुर्रमान कुरैशी बिरादरी से आते हैं, जो ओबीसी में है। फजलुर्रमान इस वक्त सांसद हैं और 2017 में बसपा से मेयर का चुनाव भी लड़ चुके हैं। ऐसे में तजुर्बे ऐर कद के मामले में वो दूसरे नेताओं पर भारी दिख रहे हैं।
इमरान मसूद के लिए फजलुर्रमान के परिवार से किसी का टिकट होना झटके की तरह है। इमरान और फजलुर्रमान के बीच कड़वाहट किसी से छुपी नहीं है। 2019 लोकसभा चुनाव में इमरान कांग्रेस तो फजलुर्रमान बसपा से लड़े थे। चुनाव में फजलुर्रमान जीते थे। कई मौकों पर इमरान को ये कहते हुए सुना गया कि ऐसा एमपी लोगों ने बना दिया जो ना संसद में बोल पाता है और ना क्षेत्र में लोगों के काम करा पाता है।
इमरान मसूद ने जब बसपा ज्वाइन की तो तमाम बड़े नेता मौजूद रहे लेकिन फजलुर्रमान नहीं आए थे। अब आरक्षण लिस्ट के बाद हो सकता है कि फजलुर्रमान के परिवार से कोई चुनाव लड़े और इमरान को पार्टी अनुशासन के चलते जहर का घूंट पीते हुए उनके लिए प्रचार करना पड़े।
सपा से भी विरोधी को ही टिकट मिलने की चर्चा
विधानसभा चुनाव के समय इमरान मसूद कांग्रेस छोड़ते हुए सपा में गए थे लेकिन बाद में बसपा में शामिल हो गए। सपा छोड़ने के बाद इमरान की सबसे तीखी बयानबाजी सपा के सहारनपुर देहात से MLA आशु मलिक से देखी गई। आशु भी ओबीसी हैं, ऐसे में उनकी पत्नी का नाम भी सपा से मेयर टिकट के लिए चल रहा है।
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इमरान के लिए वैसे तो सपा पूर्व पार्टी है लेकिन आशु मलिक की पत्नी का टिकट होना उनको शायद ही पसंद आएगा। आशु मलिक की पत्नी लड़ीं तो हो सकता है कि सपा के निशाने पर सबसे ज्यादा इमरान रहें। ऐसे में अभी तक तो सपा-बसपा से जो नाम चल रहे हैं, वो फाइनल हुए तो ये इमरान के लिए कड़वी दवा की डबल डोज हो जाएगी।