यह भी देखें-सहारनपुर की दिव्या ने प्रदेश में पाया छठा स्थान दिव्या खुद कहती हैं कि रटने से कभी भी पढ़ाई नहीं आ सकती। रटने से अक्सर छात्र-छात्राएं अपना भविष्य और समय दोनों ही खराब करते हैं। एक प्रश्न के जवाब में दिव्या कहती हैं कि वह बहुत ज्यादा नहीं पड़ती, वह केवल 5 घंटे ही पढ़ाई करती थी लेकिन इन 5 घंटों में वह बेहद मन लगाकर पढ़ती थी और हर एक बात को हर एक तर्क को समझ कर याद रखती थी। दिव्या का यह भी कहना है कि उन्होंने कभी भी किसी भी विषय में रट्टा नहीं किया।
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अगर उन्हें कोई सूत्र या कोई बात समझ में नहीं आती थी तो वह अपने भाई से अपने टीचर से और अपने क्लासमेट से उसके बारे में चर्चा करती थी समझती थी लेकिन कभी भी उन्होंने रखने में विश्वास नहीं रखा जब तक बात क्लियर ना हो जाये जब तक तर्क सामने नहीं ना जाये और उन्हें सारी बातें समझ में ना आ जाएं तब तक वह उस विषय को उस बिंदु को छोड़ती नहीं थी और समझने के बाद ही उसको पूरा करती थी। आईएएस बनना चाहती हैं दिव्या
दिव्या का सपना आईएएस बनने का है वह कहती हैं कि देश की सेवा करना चाहती हूं और IAS बनकर कुछ अलग करने की चाह रखती हूं। दिव्या उत्तर प्रदेश के टॉप 10 टॉपर्स में शुमार है और उत्तर प्रदेश के टॉपर्स में दिव्या छठवें स्थान पर हैं। दिव्या के पिता प्राइवेट जॉब करते हैं और माता ग्रहणी हैं। दिव्या के बड़े भाई का भी आज इंटरमीडिएट का परिणाम आया है।
दिव्या का सपना आईएएस बनने का है वह कहती हैं कि देश की सेवा करना चाहती हूं और IAS बनकर कुछ अलग करने की चाह रखती हूं। दिव्या उत्तर प्रदेश के टॉप 10 टॉपर्स में शुमार है और उत्तर प्रदेश के टॉपर्स में दिव्या छठवें स्थान पर हैं। दिव्या के पिता प्राइवेट जॉब करते हैं और माता ग्रहणी हैं। दिव्या के बड़े भाई का भी आज इंटरमीडिएट का परिणाम आया है।
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भाई ने भले ही टॉप ना किया हो लेकिन दिव्या खुद कहती हैं कि जब उन्हें कोई बात समझ में नहीं आती थी तो वह अपने भाई से ही उसको समझती थी। बेटी के टॉप करने पर पिता बेहद खुश नजर आए और उनकी आंखें भर आई। जब हमने उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि आज मुझे इतना अच्छा लग रहा है कि मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता। दिव्या के पिता सुबोध कुमार एक प्राइवेट जॉब करते हैं और इनकी माता जया ग्रहणी हैं और घर संभालती हैं। यह भी देखें-सेना में जाना चाहता है ये यूपी का टॉपर दिव्या खुद कहती हैं कि उन्हें ऐसा तो लग रहा था कि वह अच्छे अंकों से पास होंगी, लेकिन वह प्रदेश में छठवें स्थान पर आएंगी इतना उनको भी उम्मीद नहीं थी और अब जब उन्हें इस बात का पता चला तो वह बेहद खुश हो गई। दिव्या ने कहा कि मैं उन छात्र-छात्राओं को सिर्फ इतना ही कहना चाहती हूं जिनके नम्बर आज कम आये होंगे कि ऐसा नहीं है कि उनकी मेहनत में कोई रही होगी। मेहनत सभी करते हैं लेकिन भाग्य भी होता है। जिन्होंने बेहद मेहनत करने के बाद भी कम अंक प्राप्त किए हैं कि उनको सभी चीजों को सभी विषयों को समझकर पढ़ना चाहिए रट्टा कभी नहीं करना चाहिए।