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जनकपुरी थाना क्षेत्र के रहने वाला शमसुद्दीन जब इस इस प्रार्थना पत्र के साथ जिलाधिकारी के समक्ष पेश हुआ ताे इसकी बात सुनकर जिलाधिकारी भी हैरान रह गए। युवक ने कहा कि, वह जिला अस्पताल की मोर्चरी में शव उठाने का काम करता है। इस काम के बदले उसे कुछ पैसे मिल जाते हैं और इसी से उसका घर चलता है। शमसुद्दीन ने यह भी बताया कि उसकी एक बेटी है और उसके पास इनकम का काेई और दूसरा साधन नहीं है। जब से दुर्घटनाएं बंद हुई हैं तब से अस्पताल में शव उठाने का काम भी लगभग बंद है। यह भी पढ़ें
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युवक की बात सुनकर जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने कहा कि एक्सीडेंट नहीं हाे रहे यह ताे अच्छी बात है। इस पर युवक ने कहा कि वह भी नहीं चाहता कि एक्सीडेंट हाें इसलिए वह सब्जी बेचने की अऩुमति मांग रहा है। युवक के इस आग्रह पर जिलाधिकारी ने कहा कि उसे सब्जी बेचने का पास ताे नहीं मिल सकता क्याेंकि पहले जाे पास दिए गए हैं उन्हे ही निरस्त किया जा रहा है। ऐसे में उसके घर पर राशन भिजवाया जाएगा। यह भी पढ़ें
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जिलाधिकारी इस युवक की बात सुन ही रहे थे कि वहां मेयर संजीव वालिया भी पहुंच गए। इस पर मेयर ने भी युवक काे कहा कि दुर्घटनाएं कम हाेना अच्छी बात है। ऐसे में उसके परिवार का पूरा ध्यान रखा जाएगा और उसके घर पर सुबह शाम निगम की टीम खाना भिजवाएगी। यह भी पढ़ें
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OMG ताे सहारनपुर में हर दिन मरते थे 5 से 6 लाेगशमसुद्दीन ने इस दाैरान बताया कि, सामान्य दिनों में सहारनपुर में रोजाना पांच से छह शव जिला अस्पताल में पहुंचते थे। जब से लोग डाउन हुआ है तब से दिन में एक व्यक्ति का शव भी मोर्चरी में नहीं आता। ऐसे में कोरोना वायरस के बाद लगाए गए लॉक डाउन का एक दूसरा पहलू यह भी सामने आया है। एक और जहां लाेग कोरोना के डर से दहशत में हैं वहीं दूसरी ओर यह बात भी साफ हाे गई है कि लॉक डाउन ने देश में हजारों लाेगाें की जान बचा दी है।