1987 में रखी गई थी नींव विश्व प्रसिद्ध मस्जिद रशीद की आधारशिला रखने का निर्णय दारुल उलूम देवबंद में सन् 1987 में आयोजित मजलिस-ए-शुरा की बैठक में लिया था तथा इस भव्य मस्जिद के निर्माण के लिए 25 लाख रुपये का बजट उस समय पास किया गया, जो कि अब से 25 साल पहले एक बहुत बड़ी रकम थी। मस्जिद का नाम मशहूर आलिमे दीन मौलाना अब्दुल रशीद अहमद गंगोही के नाम पर मस्जिद रशीद रखा गया। इसके बाद सन् 1988 में हजरत मौलाना अब्दुल रशीद रह. उर्फ नन्नू मियां, मुफ्ती-ए-आजम हजरत मौलाना मुफ्ती महमूद हसन रह. जानशीन शेखुल हदीस हजरत मौलाना मोहम्मद तलहा सहित अन्य शुरा सदस्यों के हाथों से मस्जिद की आधारशिला रखी गई। मस्जिद को और अधिक भव्य रूप देने के उद्देश्य से शुरा द्वारा दो साल बाद मस्जिद के लिए पारित 25 लाख रुपये के बजट को बढ़ाकर 65 लाख रुपये कर दिया गया। शुरू में मस्जिद का क्षेत्रफल मौजूदा क्षेत्रफल से काफी छोटा था, परंतु जैसे-जैसे निर्माण होता गया वैसे-वैसे लोगों की मदद से इसके क्षेत्रफल के साथ ही बजट भी बढ़ता गया। वर्तमान में यह बजट करोड़ों रुपये है और अभी भी मस्जिद में निर्माण कार्य चलता रहता है।
102 फीट चौड़ा है मुख्य दरवाजा विश्व प्रसिद्ध मस्जिद रशीद का मुख्य द्वार 102 फीट चौड़ा व 50 फीट ऊंचा बनाया गया है। 102 फीट चौड़े इस मुख्य द्वार में मस्जिद के अंदर प्रवेश करने के लिए पांच दरवाजे बनाए गए हैं, जिसके मध्य में स्थित बड़े द्वार की चौड़ाई 20 फीट है। मस्जिद के द्वार के बाद एक बड़ा सेहन है, जिसकी लंबाई 180 फीट और चौड़ाई 128 फीट है। सेहन के चारों ओर 16 फीट चौड़ा जालियों व पत्थरों से बना हुआ बरामदा है, जिसके उत्तर व दक्षिण छोर पर एक-एक प्रवेश द्वार है तथा सेहन के बिल्कुल सामने मस्जिद की आलीशान तीन मंजिला इमारत शान से सिर उठाए खड़ी है। इस तीन मंजिला इमारत के बिल्कुल बीचों-बीच एक बेहद खूबसूरत व भव्य गुंबद बनाया गया है, जिसकी चैड़ाई 60 गुणा 60 फीट और ऊंचाई 120 फीट है, जिसके भीतर कम से कम 200 लोग आराम से नमाज अदा कर सकते हैं। मस्जिद के दोनों छोर पर दो भव्य व गगनचुंबी आलीशान मीनार बनाए गए हैं। आधुनिक तकनीक से बनाए गए इन मीनारों के बीच में खूबसूरत अंदाज की सीढि़यां बनाई गई हैं, जो कि मीनार के अंत तक पहुंचती हैं। मस्जिद के नीचे नमाजियों की सुविधा के लिए एक भव्य तहखाना बनाया गया है तथा मस्जिद के मुख्य द्वार से दोनों ओर से तहखाने को जोड़ने के लिए जमीन के भीतर से रास्ता भी बनाया गया है, जिसमें छात्रों के रहने के लिए कमरे भी बनाए गए हैं। इस तरह मस्जिद के नीचे दारुल उलूम में पढ़ने वाले छात्रों की एक बड़ी बस्ती आबाद है।
मकराना के सफेद संगमरमर से निखरती है खूबसूरती राजस्थान से खासतौर पर मंगाए गए मकराना के सफेद संगमरमर व पत्थरों की बारीक नक्काशी से बनाई गई विश्व विख्यात मस्जिद रशीद सैलानियों को अपनी ओर सम्मोहित करती है। उम्दा किस्म के सफेद संगमरमर से बनी यह मस्जिद हर एक मौसम में अपनी खूबसूरती की एक अलग ही छटा तो बिखेरती ही है, वहीं रात्रि में चंद्रमा की रोशनी में यह मस्जिद अपनी खूबसूरती की अलग ही दास्तां बयां करती है। इसके अलावा यह मस्जिद विख्यात दारुल उलूम देवबंद में बनी होने के कारण हर समय हजारों नमाजियों से आबाद रहती है।
खूबसूरती के साथ मजबूती का भी रखा गया है पूरा ध्यान विश्व विख्यात मस्जिद रशीद के निर्माण में जहां मजबूती को अव्वल दर्जा दिया गया है, वहीं मस्जिद को खूबसूरत बनाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की गई है। मस्जिद के निर्माण में मजबूती के साथ-साथ बारीक से बारीक खूबसूरती को ध्यान में रखा गया है।
…तो हिंदुस्तान की सबसे खूबसूरत मस्जिद है रशीदिया मस्जिद मस्जिद रशीद आजादी के बाद हिंदुस्तान में बनाई गई सभी मस्जिदों में सबसे भव्य, मजबूत और खूबसूरत मानी जाती है, जिसकी न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी खूब चर्चा है। इसके चलते मस्जिद रशीद को निहारने के लिए भारी संख्या में टूरिस्ट यहां पहुंचते हैं।
पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बता दें कि यहां मुस्लिम-हिन्दू सहित सभी धर्मों के पर्यटक आते रहते हैं। कोई रशीदिया मस्जिद की तुलना ताजमहल से करता है, तो कोई इसे सबसे खूबसूरत इबादतगाह कहता है। देवबंद तहसील के अंतर्गत स्थित रशीदिया मस्जिद की खूबसूरती देखते ही बनती है। रशीदिया मस्जिद को देखने वाले जो पर्यटक बाहर से आते हैं वह इसे किसी भी ओर से और किसी भी नजर से देखें वह हर जगह से खूबसूरत ही दिखाई देती है।