अरबी विद्वान माैलाना नदीमुल वाजदी रमजान के पवित्र महीने का आगाज हुआ तो हमने हमारे नबी मस्जिद-ए-नबवी में तशरीफ़ लाए आैर उन्हाेंने गुंबर पर खड़े होकर शाहाबा से इरशाद फरमाया कि लोगों रमजान का महीना आ चुका है रमजान का महीना बहुत ही बरकत का महीना है। इस महीने में मुसलमानों की इबादत का सवाब जो है वह 70 गुना ज्यादा हाे जाता है। इस महीने में रिज्क को भी बढ़ा दिया जाता है। नबी ने यह भी इरशाद फरमाया कि रमजान का महीना हमदर्दी और गम बांटने का महीना है। एक दूसरे के साथ हमदर्दी करना इस महीने के मुकाबले दूसरे महीनों से अधिक अहमियत रखता है। इसका एक कारण यह है कि इस महीने में हर व्यक्ति का दस्तरखान वसी हो जाता है और इफ्तयार व सहरी में लोग तरह-तरह की नियामतें खाते हैं तो इसलिए जरूरी है कि हमें दूसरों का भी ख्याल रखना चाहिए। आस-पास के लोगों व पड़ोस ,रिश्तेदारों का व अपने गरीब भाइयों का और अपने मुलाजिमों का भी ख्याल रखना चाहिए और उनको भी अपने दस्तरखान पर शरीक करना चाहिए। अगर अपने साथ दस्तरखान पर शरीक नहीं कर सकते तो उनके घर पर कोई तोहफा या हदिया पहुंचा देना चाहिए ताकि वह भी रमजान में किसी भी चीज से महरूम ना रह सके। हमारे नबी ने इरशाद फरमाया कि जो शख्स रमजान के महीने में अपने मोमिन भाई को रोजा इफ्तार करायेगा तो उसको एक रोजे का सवाब 70 रोजों के बराबर मिलेगा आैर अपने रोजे का सवाब भी मिलेगा। जिसको इफ्तार कराया उसके रोजे का भी सवाब मिलेगा और जिसको इफ्तार कराया है उसके सवाब मे भी कोई कमी नहीं आएगी सहाबा-ए-इकराम में नबी ने फरमाया कि हममें से बहुत से लोग गरीब हैं। वह किसी को पेटभर खाना भी नहीं खिला सकते तो उन लोगों को ऐसे में सवाब हांसिल करने के लिए क्या करना चाहिए हमारे नबी ने इरशाद फरमाया कि कोई जरूरी नहीं है कि पेट भर कर ही खाना खिलाओ एक खजूर या एक घूंट पानी से भी रोजा इफ्तार करा सकते हैं तो उनको भी रोजा इफ्तार करने का उतना ही सवाब हासिल होगा हमारे नबी ने रमजान के महीनें को हमदर्दी और गम बांटने वाला महीना कहां है इसका मतलब यह है कि हम अपने आस-पड़ोस दोस्तों मोहल्लेदारों रिश्तेदारों को देखें कि कुछ लोग ऐसे भी हो सकते हैं कि जो रमजान में खाने पीने की नियमों का फायदा ना उठा सकते हो और जिनके दस्तरखान खाली हो और उनके बच्चों को वह खाना ना मिल रहा हो जो आपको और आपके बच्चों को मिल रहा है इसलिए इस महीने में जरूरी है आप ऐसे लोगों को अपने साथ शरीक करें और ऐसे लोगों को कि हमदर्दी करें उनको तोहफे और हदिया देकर उनका दिल खुश करें और उनको भी रमजान की नियामतो में शामिल कर सवाब हासिल करें