दरअसल, भगवान राम का एक ऐसा नाम भी था जिसे इस ब्रम्हांड में माता जानकी के अलावा कोई नहीं जानता था। वेद पुराणों में ऐसा उल्लिखित है कि भगवान राम का यह नाम माता जानकी ने ही रखा था। वेद पुराणों में यह भी बताया गया है कि जिस वक्त माता सीता ने भगवान राम का नाम रखा था, उस समय उन्होंने भगवान राम से यह भी कहा था कि इस नाम के बारे में वह किसी को भी नहीं बताएंगे। इस नाम के बारे में सिर्फ माता जानकी और भगवान राम को ही पता होगा।
इसके बारे में वह अपने भाई लक्ष्मण, अपनी संतान या अपनी प्रजा को भी नहीं बताएंगे। बाद में यह बात मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने सिर्फ अपने परम भक्त हनुमान को बताई थी और जब हनुमान मुद्रिका लेकर माता जानकी से मिलने लंका में गए और उन्होंने माता जानकी को पुकारा तो माता जानकी को लगा कि यह रावण का ही कोई छल हो सकता है, लेकिन जैसे ही राम भक्त हनुमान ने माता जानकी के सामने भगवान राम का वह नाम लिया जिसे ब्रम्हांड में भगवान राम और माता जानकी के अलावा कोई नहीं जानता था। तो इस नाम को हनुमान के मुख से सुनकर माता सीता समझ गई के यह कोई छल नहीं है और हनुमान को भगवान राम ने ही भेजा है। क्योंकि जिस नाम से हनुमान ने भगवान राम का परिचय दिया, वह नाम उनके और खुद भगवान राम के अलावा इस ब्रम्हांड में कोई नहीं जानता।
करुणा निदान नाम रखा था माता जानकी ने सहारनपुर के तहसील
मंदिर के अधिष्ठाता पंडित अभिषेक के मुताबिक वेद पुराणों में ऐसा उल्लिखित है कि जब भगवान श्रीराम ने अपने परम भक्त हनुमान को बताया कि उनका एक नाम करुणा निदान भी है जिससे सिर्फ सीता ही उनको पुकारती है। ऐसा बताते हुए भगवान राम ने हनुमान जी को कहा था कि ‘हे हनुमान जब आप सीता के सम्मुख जाएंगे तो इस नाम से मेरा परिचय देते हुए बताना कि मुझे करुणा निदान ने भेजा है तो सीता समझ जाएंगी कि तुम्हें मैंने ही भेजा है’। इसी दौरान राम ने अपने भक्त हनुमान को यह भी बताया था कि जब वह माता सीता को ब्याह कर अयोध्या लाए थे तो उस दिन वह उनके बायंग बैठी हुई थी।
इसी दौरान उन्होंने सीता को कहा था कि उनके जीवनकाल में सीता के अलावा कोई और अन्य स्त्री उनके बायंग नहीं बैठेगी। इस पर सीता ने कहा था कि वह भी भगवान राम को कुछ देना चाहती हैं और उन्होंने कहा था कि आपने मुझे इतना बड़ा उपहार दिया है और मैं भी आपको एक नाम देना चाहती हूं, जिसके बारे में सिर्फ मुझको ही पता होगा और आपको जानकारी होगी। इस पूरे ब्रह्मांड में किसी अन्य व्यक्ति को इस नाम के बारे में जानकारी नहीं होगी। इस पर भगवान राम ने कहा था कि क्या मैं इस नाम को अपने भाई लक्ष्मण को भी नहीं बताऊंगा, तो माता सीता ने कहा था कि नहीं। इस नाम को आप किसी से भी नहीं बताएंगे और माता सीता ने इसी दौरान भगवान राम को करुणानिदान नाम दिया था। बाद में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने इस संवाद के बारे में सिर्फ अपने बेहद प्रिय भक्त हनुमान को ही बताया था।