सहारनपुर

मुसलमानों के धार्मिक व पारिवारिक मामलों में सरकार या संसद को दखल देने का अधिकार नहीं-सैय्यद अरशद मदनी

मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर अरशद मदनी ने की चिंता जाहिर
ट्रिपल तलाक पर भी जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष का बयान
कहा-संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार

 

सहारनपुरJul 06, 2019 / 01:21 pm

Ashutosh Pathak

मुसलमानों के धार्मिक व पारिवारिक मामलों में सरकार या संसद को दखल देने का अधिकार नहीं-सैय्यद अरशद मदनी का बड़ा बयान

देवबन्द। ट्रिपल तलाक ( triple talaq ) और मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर जमात जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैय्यद अरशद मदनी ने अपना बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में दिए गए अधिकारों के तहत मुसलमानों के धार्मिक व पारिवारिक मामलों में सरकार या संसद को दखल देने का अधिकार नहीं है। अगर कोई भी शरियत में हस्तक्षेप कतई स्वीकार नहीं है।
शुक्रवार को मौलाना सैय्यद अरशद मदनी ( Syed Arshad Madani ) ने कहा कि मजहबी आजादी हमारा बुनियादी हक है। जिसका जिक्र संविधान की धारा 25 और 28 में किया गया है। इसलिए मुसलमान ऐसा कोई भी कानून जिससे शरीयत में हस्तक्षेप होता है उसे कतई स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय के अलावा 68 प्रतिशत तलाक गैर मुस्लिमों में होता है और 32 प्रतिशत तमाम समुदायों में, लेकिन सरकार का यह दोहरा रवैया समझ से परे है।
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मौलाना अरशद मदनी ने देश में लगातार बढ़ रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर कहा कि वर्तमान स्थिति विभाजन के समय से भी बदतर और खतरनाक हो चुकी है और यह संविधान के वर्चस्व को चुनौती एवं न्याय व्यवस्था पर सवालिया निशान है। उन्होंने आगे कहा कि झारखंड, भारत में मॉब लिंचिंग की शर्मनाक प्रयोगशाला बन चुकी है। जिसके चलते अब तक 19 मासूम बेकसूर लोग इसके शिकार हो चुके हैं। जिसमें 11 मुस्लिम समुदाय व अन्य दलित समुदाय ( dalit community ) से संबंधित हैं। इससे खतरनाक और चिंता की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद मानवता और भाईचारे पर यह दरिंदगी रुकने का नाम नहीं ले रही है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 17 जुलाई 2018 के आदेश में स्पष्ट कहा है कि कोई भी व्यक्ति अपने हाथ में कानून नहीं ले सकता। यह याद रखने वाली बात है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 56 लोग मॉब लिंचिंग ( Mob lynching ) का शिकार हो चुके हैं। जो चिंता का विषय है।
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