मुन्ना बजरंगी एक बार यमराज काे भी धाेखा दे चुका है लेकिन इस बार बागपत जेल में इसकी हत्या की फुल प्रुफ प्लानिंग की गई थी। यही कारण रहा कि इस बार वह यमराज काे धाेखा नहीं दे पाया। बता दें कि करीब दाे दशक पहले मुन्ना बजरंगी जब पांच लाख का इनामी था आैर इंटर स्टेट गैंग नम्बर 233 का सरगना था। उस समय दिल्ली और यूपी पुलिस की सयुंक्त टीम की समय बादली थाना क्षेत्र में 11 सितम्बर 1998 को एक मुन्ना बजरंगी के साथ मुठभेड़ हाे गई थी। इस मुठभेड़ के बाद मुन्ना बजरंगी के माैत की पुष्टि कर दी गई थी। इस मुठभेड़ में मुन्ना काे दस से अधिक गाेली लगी थी आैर पुलिस टीम ने इसे मार गिराने का दावा कर दिया था। मुन्ना की मौत की खबर भी प्रसारित हो गयी थी, लेकिन जब इसे अस्पताल ले जाया गया ताे इसकी सांसे चलती हुई थी। उस समय जब इतने बड़े डॉन की माैत की खबर आई ताे लाेगाें ने राहत की सांस ली थी आैर लाेगाें काे यह लगा था कि यूपी से अपराध का एक बड़ा अध्याय खत्म हाे गया है लेकिन पुलिस जब मुन्ना बजरंगी काे राममनोहर लोहिया अस्पताल लेकर पहुंची ताे इसने आंखें खोल ली थी।
यह देखकर पुलिस टीम के भी पैराें तले से जमीन खिसक गई थी। उस समय यह बात सामने आई थी कि मुन्ना बजरंगी सिर्फ कुख्यात आैर दुर्दांत अपराधी ही नहीं है बल्कि वह एक बड़ा शातिर भी है। इस तरह दाे दशक पहले मुन्ना बजरंगी ने यमराज काे भी धाेखा दे दिया था आैर माैत की खबर चलने के बाद भी उसने अस्पताल में जाकर अपनी आंखे खाेल ली थी जबकि इसे दस से अधिक गाेलियां लगी हुई थी।
यह भी जानिए पूर्वांचल के कुख्यात डॉन रहे मु्न्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह था। मुन्ना बजरंगी का जन्म 1967 में यूपी के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था। इसके पिता पारसनाथ सिंह इसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाना चाहते थे लेकिन प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी जरायम की दुनिया में नाम कमाना चाहता था। अपने इन्ही इरादाें के लिए मु्न्ना बजरंगी ने अपने पिता के अरमानाें का कक्षा पांच में ही कत्ल कर दिया था। बताया जाता है कि प्रेमप्रकाश ने पांचवीं क्लास के बाद ही स्कूल जाने से साफ इंकार कर दिया था। स्कूल से नाता ताेड़ते ही प्रेमप्रकाश के पैर जरायम की गलियाें की आेर मुड़ने शुरू हाे गए थे। किशाेर अवस्था में आते-आते मुन्ना बजरंगी के दिल में फिल्मी डॉन जैसा रुतबा जरायम की दुनिया में कमाने के सपने उमड़ने लगे थे। यहीं से इसने जरायम की दुनिया में कदम रखा।
40 से अधिक हत्या कर चुका था बजरंगी अपने साल के आपराधिक जीवन में मुन्ना बजरंगी ने 40 से अधिक लाेगाें की जान ली। मुन्ना बजरंगी काे हथियाराें का कितना शाैक था इसका सहज अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जाैनपुर सेरुही थाने में इसके खिलाफ 17 साल की उम्र में ही पुलिस ने हथियार रखने का मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद मुन्ना बजरंगी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा आैर जरायम की दुनिया में आगे बढ़ता चला गया। शुरुआत में इसे जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का सरंक्षण मिला। गजराज सिंह के गैंग में शामिल हाेने के बाद अपना नाम सामने लाने के लिए इसने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या की। यह मुन्ना बजरंगी द्वारा की गई पहली हत्या थी जिसके बाद लाेगाें ने इसे जानना शुरू किया। हत्या की इस वारदात काे अंजाम देने के बाद ताे मानाे जैसे बजरंगी के मुंह खून लग गया आैर फिर इसने सीरियल वारदाताें काे अंजाम दिया। गजराज के इशारे पर ही इसने जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या की। इसके बाद मुन्ना बजरंगी ने मुख्तार अंसारी से हाथ मिला लिया था। इस दाेस्ती का भराेसा दिलाने के लिए इसने मुख्तार अंसारी के कहने पर अनिल आैर सुनील राय की हत्या की थी। वाराणसी के डिप्टी जेल अनिल त्यागी की भी मुन्ना बजरंगी की हत्या की। बाहुबली ब्रिजेश सिंह के भाई की हत्या का आराेप भी मुन्ना बजरंगी पर ही है। इस तरह सीरियल वारदाताें काे अंजाम देने के बाद इसने वाराणसी के माेहम्मदाबाद से बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या की सनसनीखेज वारदात काे अंजाम दिया। इस हत्याकांड में छह एेके 47 राईफल इस्तेमाल की गई थी। इस हत्याकांड काे यूपी का अब तक का सबसे बड़ा हत्याकांड माना जाता है। इस हत्याकांड में विधायक कृष्णानंद राय के गनर समेत छह लाेगाें की हत्या खुलेआम की गई थी। इस हत्याकांड के बाद ही यह बात भी सामने आ गई थी कि एके 47 मुन्ना बजरंगी का पसंदीदा हथियार था।