श्रावण मास में देवाें के देव महादेव की पूजा करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। भाेलेनाथ समस्त पापों को नष्ट करने वाले हैं। कलियुग में बाबा भाेलेनाथ ही एेसे देव भगवान हैं जाे मनुष्याें के समस्त मनोरथ पूर्ण कर देते हैं। शिवरात्रि पर भाेलेनाथ अपने भक्ताें पर विशेष कृपा करते हैं लेकिन अधिकांश लाेगाें काे यह जानकारी नहीं हाेती कि महा शिवरात्रि पर किस प्रकार भगवान शिव की पूजा करें।
एेसे करें महादेव की पूजा की तैयारी महादेव की पूजा कैसे करें इस सवाल का सही जवाब हमे शिव पुराण में मिलता है। मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सर्वप्रथम शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव को हाथ जोड़कर प्रणाम करें। आसन बिछाकर भगवान शिव की ओर मुख करके बैठ जाएं। भगवान शिव की पूजा की सामग्री वस्त्र जनेऊ गंगाजल, पुष्प, चंदन, बिना टूटे साबुत चावल, धूंप, दीपक, बेलपत्र, भांग, धतूरे का फल, धतूरे का पुष्प, दूर्वा, तुलसी पत्र एवं पंचामृत फल इनमें से जाे संभव हाें अपने पास रख लें। पंचामृत में दूध, दही, गाय का घी शहद और शक्कर हाेती है। इनका मिश्रण ही पंचामृत कहलाता है। इन पाँच वस्तु में यदि किसी एक वस्तु का अभाव हो उसके स्थान पर गंगाजल मिला सकते हैं। इस तरह ध्यान लगाते हुए हृदय में भगवान शिव का ध्यान करें आैर भगवान शिव की पूजा शुरु करें।
एेसे करें पूजा सर्वप्रथम पुष्प लेकर भगवान शिव का ध्यान करें शिवलिंग पर वह पुष्प चढ़ा दें। इसके पश्चात पंचामृत से भगवान शिव को स्नान कराएं। इसके पश्चात भगवान को एक लोटा जल अर्पण करें। इसके बाद भगवान शिव को गंगाजल चढ़ाये। गंगाजल चढ़ाने के बाद भगवान शिव को वस्त्र एवं जनेऊ अर्पण करें। चंदन का लेप करें। भगवान शिव को अक्षत यानी चावल चढ़ाएं। ध्यान रहें चावल टूटे हुए ना हाें। बेलपत्र, धतूरे का फल एवं पुष्प तुलसी पत्र भांग पत्र भी भगवान को चढ़ा सकते है। भगवान को दूर्वा चढ़ाएं धूप दीप दिखाकर भगवान की आरती उतारें। भगवान के सम्मुख भोग रखें। भगवान को चढ़ाये जाने वाला प्रसाद कभी भी शिवलिंग पर नहीं चढाना चाहिए। अपितु पात्र में रखकर भगवान के सामने रखना चाहिए। फल भगवान को अर्पण करें। पूजा के बाद दक्षिणा भी चढ़ाएं। इस तरह पूजा करते हुए हाथ जोड़कर भगवान शिव से प्रार्थना करें कि मेरे द्वारा की गई पूजा को स्वीकार करें। इस पूजा में अज्ञानतावश जाे कोई भी कमी रह गई हो तो आप अपनी कृपा दृष्टि से पूर्ण कर मुझे मनवांछित फल प्रदान करें। भगवान शिव के मंदिर से बाहर निकलकर भगवान के मंदिर की आधी परिक्रमा करें। भगवान शिव की आधी परिक्रमा की जाती है। एकान्त स्थान में बैठकर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जप करें। यह जप भगवान शिव को अर्पण करके आप मनवांछित फल पा सकते हैं। विशेष कामना से भगवान शिव को चढ़ाने जाने वाली वस्तुओं में वंश की वृद्धि के लिए शिवलिंग पर गाय का शुद्ध घी चढ़ाएं। मन की शांति के लिए भगवान शिव का जल से अभिषेक करें। सुख पाने के लिए भगवान को इत्र अर्पण करें, बीमारी से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव को शहद चढञाएं। धन पाने के लिए गन्ने का रस भगवान शिव को अर्पण करें। इन सभी वस्तुओं को चढ़ाने के बाद भगवान शिव को गंगाजल भी अवश्य चढ़ाएं।
ये हैं शुभ मुर्हुत
महाविद्या ज्योतिष संस्थान पंडित रोहित वशिष्ठ के मुताबिक, अगस्त को प्रातः सूर्योदय के साथ 5:45 से 7:25 तक पहला शुभ मुहुर्त है। इसके पश्चात 10:45 से 12:25 तक दूसरा सुबह मुहुर्त है। शिव काँवड लाने वाले शिव भक्तों का जल चढ़ाने का शुभ मुहुर्त शाम को 7:25 से आरंभ होकर मध्य रात्रि तक रहेगा। शिवरात्रि को किसी भी समय भगवान शिव को जल चढाया जा सकता है। शिवरात्रि भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। अतः शिवरात्रि पर भगवान शिव के लिए कि गई थोड़ी पूजा भी अधिक फल प्रदान करने वाली है।
महाविद्या ज्योतिष संस्थान पंडित रोहित वशिष्ठ के मुताबिक, अगस्त को प्रातः सूर्योदय के साथ 5:45 से 7:25 तक पहला शुभ मुहुर्त है। इसके पश्चात 10:45 से 12:25 तक दूसरा सुबह मुहुर्त है। शिव काँवड लाने वाले शिव भक्तों का जल चढ़ाने का शुभ मुहुर्त शाम को 7:25 से आरंभ होकर मध्य रात्रि तक रहेगा। शिवरात्रि को किसी भी समय भगवान शिव को जल चढाया जा सकता है। शिवरात्रि भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। अतः शिवरात्रि पर भगवान शिव के लिए कि गई थोड़ी पूजा भी अधिक फल प्रदान करने वाली है।