गणेश चतुर्थी शुभ मुर्हुत प्रोफेसर राघवेंद्र स्वामी के मुताबिक गणेश चतुर्थी तिथि 12 सितंबर 2018 को शाम 4:30 से प्रारंभ हो गई थी। यह तिथि 13 सितंबर 2018 यानी आज दोपहर 12:58 तक रहेगी। इस अवधि में आप भगवान श्री गणेश की वंदना कर सकते हैं। पूजा अर्चना कर सकते हैं और उन्हें खुश कर सकते हैं। प्रथम भगवान गणेश की पूजा सभी देवी देवताओं में सबसे पहले की जाती है।
यह है गणपति जी की स्थापना का मुहूर्त
अगर आप भगवान गणेश गणपति जी की स्थापना और पूजा का समय जानना चाहते हैं तो 13 सितंबर की सुबह 11:02 से 1:35 तक की तिथि शुभ है। इन 2 घंटे 26 मिनट में आप गणपति जी की स्थापना अपने घर में कर सकते हैं। उ से यह आग्रह कर सकते हैं कि हे-गणपति जी आप हमारे यहां विराजिए।
आज इस अवधि में नहीं देखना है चंद्रमा
13 सितंबर को चंद्रमा देखने का योग नहीं है और 4 घंटे 35 मिनट का समय ऐसा है जिस अवधि में आपकाे भूलकर भी चंद्रमा को देखना नहीं है, चंद्रमा के दर्शन नहीं करने हैं। यह समय शाम 4:30 से शुरू हो जाएगा और रात 8:48 तक रहेगा। इस अवधि में आपको चंद्रमा को नहीं देखना है। ऐसा करने से आपका भाग्य छिन्न हो सकता है। इसलिए ध्यान रखना है आज इस अवधि में आपको चंद्रमा को नहीं देखना है।
13 सितंबर को चंद्रमा देखने का योग नहीं है और 4 घंटे 35 मिनट का समय ऐसा है जिस अवधि में आपकाे भूलकर भी चंद्रमा को देखना नहीं है, चंद्रमा के दर्शन नहीं करने हैं। यह समय शाम 4:30 से शुरू हो जाएगा और रात 8:48 तक रहेगा। इस अवधि में आपको चंद्रमा को नहीं देखना है। ऐसा करने से आपका भाग्य छिन्न हो सकता है। इसलिए ध्यान रखना है आज इस अवधि में आपको चंद्रमा को नहीं देखना है।
ऐसे करें गणपति जी की स्थापना
अगर आप गणपति की स्थापना अपने घर में करने जा रहे हैं तो छोटी छोटी बातों का आपको ध्यान रखना होगा। जैसे गणेश चतुर्थी के मध्यान में यह स्थापना की जाती है। इसका कारण यह है कि, गणपति जी का जन्म मध्यान काल में हुआ था। इसलिए उनकी स्थापना भी मध्यान काल में ही की जाती है। गणपति की स्थापना अपने घर में जिस दिन आप करते हैं उस दिन चंद्रमा को देखने की मनाही होती है। इसलिए आपको ध्यान रखना है कि चंद्रमा को नहीं देखना है।
अगर आप गणपति की स्थापना अपने घर में करने जा रहे हैं तो छोटी छोटी बातों का आपको ध्यान रखना होगा। जैसे गणेश चतुर्थी के मध्यान में यह स्थापना की जाती है। इसका कारण यह है कि, गणपति जी का जन्म मध्यान काल में हुआ था। इसलिए उनकी स्थापना भी मध्यान काल में ही की जाती है। गणपति की स्थापना अपने घर में जिस दिन आप करते हैं उस दिन चंद्रमा को देखने की मनाही होती है। इसलिए आपको ध्यान रखना है कि चंद्रमा को नहीं देखना है।
स्थापना की सही विधि
भगवान गणेश की स्थापना की सही विधि जानने से पहले हमको यह जानना जरूरी है कि, गणपति जी की मूर्ति अपने हाथों से बनाएं तो यह बेहद शुभ है। अगर आपके पास इतना समय नहीं है या एेसा नहीं कर सकते हैं ताें ताे बाजार से ली गई मूर्ति में अपने हाथों से काेई रंग भरें या मूर्ति काे संवारे। इसके बाद सबसे पहले गणपति की मूर्ति को गंगाजल से स्नान करा लें। ध्यान रखें मूर्ति स्थापना करने से पहले स्वयं स्नान करें और साफ सुथरे कपड़े पहने। आपके कपड़े कटे-फटे नहीं होने चाहिए। स्नान उपरांत अपने माथे पर तिलक करें और सिर ढक लें। इस तरह प्रथम दिशा पूर्व की ओर अपना मुख करके आसन लगाकर बैठे। यहां आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि आसन कटा फटा पता नहीं होना चाहिए और यह आसन कपड़े का होना चाहिए। इसके बाद गणेश जी की मूर्ति को किसी लकड़ी के तख्ते या गेहूं या ज्वार के ऊपर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करते हैं। गणपति जी की मूर्ति के दोनों और दाएं और बाएं एक-एक सुपारी रख लें और इस तरह से गणपति जी की स्थापना करते हुए उन्हें विनम्रता से यह आग्रह करें कि ”गणपति जी आप हमारे यहां विराजें” यह भी कहें कि हे प्रभु, जाे गलतियां हुई हैं उन्हें माफ करते हुए हमारी इस विनती को स्वीकार कीजिए।
यह है गणेश चतुर्थी पर पूजन की विधि
सबसे पहले आपको एक घी का दीपक जलाना है। इसके बाद आपको पूजा का संकल्प लेना है। ऐसा करने के बाद गणेश जी का ध्यान करें, उनका आह्वान करें। गणेश जी को स्नान कराएं। पहले जल से स्नान कराना है। फिर पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण पंचामृत होता है। अगर इनमें से कोई भी एक वस्तु आपके पास ना हो तो गंगाजल मिला लें। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराते हुए गणेश जी को वस्त्र चढ़ाएं, अंगवस्त्र ना हाें ताे काेई बात नहीं कलावा अर्पित करें। इसके बाद गणेश जी की मूर्ति पर सिंदूर,चंदन फूल और फूलों की माला आपकाे चढ़ानी है। अब प्रथम भगवान गणपति जी को धूप दिखाइए। एक दूसरा दीपक प्रज्वलित करते हुए गणपति जी की मूर्ति को दिखाकर हाथ धो लें। हाथ पाैछने के लिए नए कपड़े का इस्तेमाल आपको यहां करना है। ऐसा करने के बाद मिठाई और फल चढ़ाएं। गणपति जी को नारियल की दक्षिणा भी आप को देनी है। अपने परिवार के साथ गणपति जी की आरती करें। आरती करने के लिए कपूर के साथ ही में डूबी हुई एक या तीन बत्तियां बनाकर दीपक जलाते हुए आपको आरती करनी है। आरती के उपरांत हाथों में फूल लेकर गणपति के चरणों में चढ़ाने हैं। गणपति जी की परिक्रमा आपको करनी है। ध्यान रहे गणपति की परिक्रमा एक बार ही की जाती है। परिक्रमा करने के बाद माफी मांगे आैर कहें कि जाे गलतियां हाे गई हाें जाे कमिया रह गई हाें उन्हे भूलकर आशीवार्द प्रदान करें आैर पूजा व आग्रह स्वीकार करें। हमारे परिवार पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखिएगा।
सबसे पहले आपको एक घी का दीपक जलाना है। इसके बाद आपको पूजा का संकल्प लेना है। ऐसा करने के बाद गणेश जी का ध्यान करें, उनका आह्वान करें। गणेश जी को स्नान कराएं। पहले जल से स्नान कराना है। फिर पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण पंचामृत होता है। अगर इनमें से कोई भी एक वस्तु आपके पास ना हो तो गंगाजल मिला लें। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराते हुए गणेश जी को वस्त्र चढ़ाएं, अंगवस्त्र ना हाें ताे काेई बात नहीं कलावा अर्पित करें। इसके बाद गणेश जी की मूर्ति पर सिंदूर,चंदन फूल और फूलों की माला आपकाे चढ़ानी है। अब प्रथम भगवान गणपति जी को धूप दिखाइए। एक दूसरा दीपक प्रज्वलित करते हुए गणपति जी की मूर्ति को दिखाकर हाथ धो लें। हाथ पाैछने के लिए नए कपड़े का इस्तेमाल आपको यहां करना है। ऐसा करने के बाद मिठाई और फल चढ़ाएं। गणपति जी को नारियल की दक्षिणा भी आप को देनी है। अपने परिवार के साथ गणपति जी की आरती करें। आरती करने के लिए कपूर के साथ ही में डूबी हुई एक या तीन बत्तियां बनाकर दीपक जलाते हुए आपको आरती करनी है। आरती के उपरांत हाथों में फूल लेकर गणपति के चरणों में चढ़ाने हैं। गणपति जी की परिक्रमा आपको करनी है। ध्यान रहे गणपति की परिक्रमा एक बार ही की जाती है। परिक्रमा करने के बाद माफी मांगे आैर कहें कि जाे गलतियां हाे गई हाें जाे कमिया रह गई हाें उन्हे भूलकर आशीवार्द प्रदान करें आैर पूजा व आग्रह स्वीकार करें। हमारे परिवार पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखिएगा।