सहारनपुर

जयंती पर विशेष: पंडित कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर बापू काे लेकर आए थे देवबंद

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देवबंद में जन्में थे पंडित कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर
हिंदी पत्रकारिता काे दिया था रिपाेर्ताज का उपहार

 

सहारनपुरMay 29, 2020 / 05:46 pm

shivmani tyagi

parbhakar

सहारनपुर. शैलियों के शैलीकार और विख्यात साहित्यकार, पत्रकार एवं स्वतंत्रता सेनानी कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर महात्मा गांधी काे देवबंद लेकर आए थे। उन्हाेंने ही हिंदी पत्रकारिता को रिपोर्ताज उपहार के रूप में दिया था। आज उनके जन्म दिवस पर एक बार फिर से उन्हे देशभर में याद किया जा रहा है।
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पंडित कन्हैया लाल मिश्र प्रभारकर का जन्म 29 मई 1906 में देवबंद में हुआ था। इनके पिताजी पंडित रमादत्त शर्मा पंडिताई काम करते थे। इनकी माताजाी मिश्री देवी गृहणी थी। पंडित कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर ने अपने साहित्य के बल पर विश्व स्तर पर पहचान बनाई। खुर्जा के संस्कृत विद्यालय में मध्यमा की पढ़ाई उन्हें बीच में ही छोड़नी पड़ गई थी। 1920 में वह स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद पड़े और 1930 से 42 तक कई आंदोलनों में जेल भी गए। पंडित कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर 1929 में बापू यानी माेहनदास कर्मचंद गांधी जी को अपनी जन्मभूमि देवबंद लेकर आए थे। उन्हाेंने सहारनपुर काे भी विश्वपटल पर पहचान दिलाई है। अपने साहित्य से उन्हाेंने दुनियाभर को यह संदेश दिया है कि कर्म ही साधना की सबसे बड़ी पूंजी है और कर्म के बल पर ही प्रतिभा का विकास किया जा सकता है।
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कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर ने जिंदगी मुस्कुराई, जिंदगी लहराई, बाजे पायलियां के घुंघरू, महके आंगन चहके द्वार, आकाश के तारें धरती के फूल, माटी हो गई सोना, जियो तो ऐसे जियो, दीप जले शंख बजे, तपती पगडंडियों पर पदयात्रा, सतह से तह में, अनुशासन की राह में, यह गाथा वीर जवाहर की, एक मामूली पत्थर, दूध का तालाब, भूले हुए चेहरे आदि विख्यात साहित्य लिखे। इनके सभी साहित्यों काे प्रकाशन देश के जाने-माने प्रकाशक भारतीय ज्ञानपीठ ने किया। इनकी अपनी अलग शैली थी और यही कारण है कि पंडित कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर को शैलियों के शैलीकार भी कहा जाता है।
90 के दशक में मिला था पद्मश्री
पंडित कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे और इसीलिए उन्हें मेरठ विश्वविद्यालय की ओर से डी-लिट की मानद उपाधि भी दी गई थी। भारतेंदु पुरस्कार, गणेश शंकर विद्यार्थी व पराड़कर पुरस्कार, महाराष्ट्र भारती पुरस्कार, सहित दो दर्जन से अधिक सम्मान उन्हें मिले हैं और 1990 में उन्हें पद्मश्री भी मिला।
लॉकडाऊन में सादगी से मनाया जन्म दिवस

पंडित कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर का परिवार घंटाघर के पास हाथी बिल्डिंग में रहता है। उनके बेटे अखिलेश प्रभाकर और दोनों पाैत्र हर्ष व यश प्रभाकर ने परिवार के साथ बेहद सादगी से उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए उनका जन्मदिवस मनाया।

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