आपको बता दें कि रविवार को सुप्रीम कोर्ट की वकील फराह फ़ैज़ देवबंद आई थी। यहां उसने क्षत्रिय वंश कबूल करने के साथ ही इस्लामिक धर्म गुरुओं समेत दारुल उलूम देवबंद पर भी न सिर्फ गंभीर आरोप लगाए, बल्कि तीन तलाक, हलाला और फतवा जारी करने को एक दुकानदारी बतया। उनके इस बयान पर देवबंदी उलेमा ने कड़ी नाराजगी जताई है। उलेमा ने कहा कि फराह फ़ैज़ ने इस्लाम धर्म से क्षत्रीय वंश कबूल किया है। उसके लिए उसको मुबारकबाद। लेकिन धर्म गुरुओं और उलेमा के खिलाफ उल्टी-सीधी बयानबाजी करना गलत है। उलेमा ने कहा कि अदालत सबके लिए है, देश के हर मुसलमान न्यायपालिका का सम्मान करते हैं। देश के संविधान के लिए मुसलमानों के बुजुर्गों ने बलिदान दिए हैं। इसलिए कोर्ट के फैसले और सविधान को नहीं मानने का तो मतलब ही नही बनता। भारतीय संविधान ने हर मजहब के लोगों को अपने तरीके के रहने की आजदी दी है। हमें जो संविधान से मजहब की आजदी मिली हुॆी है, इसके लिए कोई किसी को बाध्य नही कर सकता। अगर फराह फ़ैज़ के इस तरह के बयान से देश में किसी तरह का टकराव होता है तो उसके लिए वे जिम्मेदार होंगी। उलेमा ने जहां फराह फ़ैज़ को एक अधीवक्ता की तरह काम करने की सलाह दी है। वहीं, उनके इस बयान को लेकर सरकार से कार्यवाई की भी मांग की है।