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इस तरह किसानों को एक सूत्र में बांधने की कोशिश करते हुए उन्होंने सरकार को चेताया और कहा कि सरकार कान खोलकर सुन ले जब तक कानून वापस नहीं होंगे तब तक किसानों की घर वापसी नहीं होगी। नए कृषि कानूनों को किसानों के खिलाफ बताते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि अगर यह बिल आया तो रोटी की कीमत कंपनियां तय करेंगी अनाज तिजोरियों में बंद हो जाएगा और इसकी चाबी भी मोबाइल फोन से खुलेगी, देश में कुत्ते भी भूखे मर जाएंगे। यह भी पढ़ें
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इसलिए किसानों को संगठित होने की आवश्यकता है जो मजदूर हैं और जो किसान हैं उन सभी को एक साथ खड़ा होना होगा। उन्होंने किसान और मजदूरों को भी एक साथ जोड़ा और बोले कि जब तक किसान और मजदूर सिर-सिर मिलाकर पल्ली के कोने नहीं मानते तब तक भूसे की गड्डी नहीं बनती। राकेश टिकैत उन लोगों को भी किसान बता गए जिनके पास जमीन नहीं है लेकिन वे खेती करते हैं। यह कहते हुए उन्होंने कहा कि आंदोलन को सफल बनाने के लिए मजदूर किसानों को एक साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ा होना होगा। यह भी पढ़ें
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राकेश टिकैत ने किसानों के जमीर को भी जगाने की कोशिश करते हुए कहा कि इस सरकार ने किसानों की पगड़ी को उछाला है अब इस सरकार को जवाब देने का समय आ गया है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत सहारनपुर के गांव लखनोती में आयोजित किसान महापंचायत के मंच को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने बाल्मीकियों को भी साधने की कोशिश की और कहा कि हमें मंदिरों में जाने से पहले वाल्मीकि समाज की पूजा करनी चाहिए। किसानों को सावधान करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 15 दिनों से सरकार शांत बैठी हुई है पहले सरकार ने हमें अलग-अलग तरह के नाम दिए लेकिन अब 10 दिनों से सरकार कुछ नहीं बोल रही। ऐसे में यह सरकार कोई नया जुमला लेकर आएगी लेकिन किसानों को संगठित होकर रहना है घबराना नहीं है। यह भी पढ़ें