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फरहा फैज ने कहा कि दीनी तालीम के नाम पर गरीब बच्चों को ‘इस्लाम खतरे में है’ का पाठ पढ़ाया जाता है। उन्होंने कहा कि गजवा-ए-हिन्द का पाठ पढ़ाया जाता है ताकि वो बच्चे हिंदुस्तान के खिलाफ खड़े हो सके। उन्होंने कहा कि देवबंद दारुल उलूम में हजारों की तादात में ऐसे छात्र रह रहे हैं, जिनका कोई रिकॉर्ड नही है। उन्होंने कहा कि इस्लाम के नाम पर उनका ब्रेन वाश किया जा रहा है। फरहा फैज सुप्रीम कोर्ट की भी वकील है। उन्होंने कहा कि दारुल उलूम में छात्रों का एडमिशन रिकार्ड दिखाने के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा धारा-91 का नोटिस जारी किया गया था। लेकिन दारुल की तरफ से रिकार्ड नहीं दिया गया। यह जरुर बताया कि देवबंद में छह हजार छात्र है। उन्होंने कहा कि मई 2016 में जांच में दारुल उलूम में छात्रों की संख्या 30 हजार बताई गई थी। छात्रों की संख्या में इतने बड़े अंतर से साफ है कि उन्हें ‘इस्लाम खतरे में है’ का पाठ पढ़ाया जा रहा है।