सहारनपुर जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव गिरा, ताज सुरक्षित
32 सदस्यों के हस्ताक्षर वाली एप्लीकेशन पर मिला था अविश्वास प्रस्ताव 16 जनवरी आज अविश्वास प्रस्ताव को करना था साबित कोरम भी पूरा नहीं कर पाया विपक्ष
Now elections will be held separately in Asind and Hurada in bhilwara
सहारनपुर। जिला पंचायत अध्यक्ष तसमीम बानो के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव साबित करने के लिए विपक्ष कोरम भी पूरा नहीं कर पाया। कोरम पूरा करने के लिए कम से कम 25 सदस्य होने आवश्यक थे लेकिन विपक्ष 22 सदस्य ही जुटा पाया। कोरम पूरा न होने की वजह से कार्यवाही तक शुरू ही नहीं हो पाई। सहारनपुर में पिछलों कुछ दिनों से जिला पंचायत की राजनीति में भी यहां के मौसम की तरह उठा-पठक चल रही थी। कुछ दिन पहले 32 सदस्यों के हस्ताक्षर वाली एक एप्लीकेशन के बल पर विपक्ष जिला पंचायत अध्यक्ष तसमीम बानों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया ले आया था। इस अविश्वास प्रस्ताव के बाद राजनीति और गरमा गई थी। अब इस अविश्वाश प्रस्ताव को साबित करना था। इसके लिए 16 जनवरी यानी गुरुवार का दिन नियत किया गया। जिला पंचायत सभागार में ही इस अविश्वास प्रस्ताव को साबित करना था। इससे पहले ही उठा-पठक तेज हो गई। चर्चाएं फैल गई कि इस अविश्वास प्रस्ताव के पीछे हाल ही में भाजपा ज्वाइन करने वाले एक पूर्व बसपा नेता हैं जिन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष को जिताने में पूर्व में एडी चोटी की मेहनत की थी और अब वही नेता अविश्वास प्रस्ताव को पर्दे के पीछे से लीड कर रहे हैं। हालांकि इन चर्चाओं की आधिकारिक रूप से कोई पुष्टि नहीं है लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा चल रही है कि ” पल भर में कैसे बदलते हैं रिश्ते अब तो हर अपना बेगाना लगता है”। 16 जनवरी को जब अविश्वास प्रस्ताव साबित करना था तो विपक्ष को तगड़ा झटका लगा और वह कोरम भी पूरा नहीं कर पाया। एडी-चोटी का जोर लगाने के बाद भी विपक्ष केवल 22 सदस्य ही जुटा पाया और कोरम पूरा न होने की वजह से कार्यवाही भी शुरू नहीं हो पाई। इस तरह बसपा समर्थित जिला पंचायत अध्यक्ष तसमीम बानों का ताज सुरक्षित रहा। सहारनपुर जिला पंचायत के कोरम पर एक नजर सहारनपुर जिला पंचायत में कुल 49 वार्ड हैं। यानी यहां पर कुल 49 जिला पंचायत सदस्य हैं। हाल ही में एक जिला पंचायत सदस्य का निधन हो गया था। जिनके बाद कुल सदस्यों की संख्या 48 रह जाती है। कोई भी अविश्वास प्रस्ताव पास कराने के लिए आधे से अधिक यानी 50% सदस्यों से अधिक सदस्यों की आवश्यकता है। जिनकी संख्या 25 बनती है। ऐसे में इस अविश्वास प्रस्ताव को साबित करने के लिए विपक्ष को 26 जिला पंचायत सदस्यों की आवश्यकता थी लेकिन विपक्ष 22 को ही जुटा पाया।
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