देश की आजादी थी मदरसों के स्थापना का मकसद सैयद अरशद मदनी ने कहा कि, दारुल उलूम देवबंद और उलेमा ने देश की आजादी में मुख्य भूमिका निभाई है। मदरसों के स्थापना का मकसद ही देश की आजादी थी। मदरसों के लोगों ने ही देश को आजाद कराया जो अपने देश से बेपनाह मोहब्बत करते हैं। लेकिन दुख की बात है आज मदरसों के ऊपर ही प्रश्नचिन्ह लगाए जा रहे हैं, और मदरसे वालों को आतंकवाद से जोड़ने के निंदनीय प्रयास किए जा रहे हैं। हर मजहब के लोग अपने मजहब के लिए काम करते हैं तो हम अपने मजहब की हिफाजत क्यों न करें। समाज के साथ साथ देश को भी धार्मिक लोगों की जरूरत है।
यह भी पढ़े – यूपी के मदरसों के लिए योगी सरकार का एक नया नियम, अब उम्र के हिसाब से ही मिलेगा दाखिला यूपी सरकार ने कराया मदरसों का सर्वे उत्तर प्रदेश सरकार से कराए गए मदरसों के सर्वे के बाद दारुल उलूम सहित गैर सरकारी मदरसों को गैर मान्यता प्राप्त बताए जाने के बाद दारुल उलूम देवबंद का यह बड़ा निर्णय सामने आया है।
यह भी पढ़े – अमेठी में अवैध मदरसे पर चला बुलडोजर 35 मिनट में हुआ जमींदोज कांग्रेस के बुजुर्ग जानते थे दारुल उलूम की देश की आजादी में क्या भूमिका है जमीयत उलेमा हिंद प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि,आज दारुल उलूम देवबंद के निर्माण कार्यों पर पाबंदियां लगाई जा रही है। जबकि इससे पहले निर्माण की एक ईंट लगाने के लिए भी किसी की इजाजत नहीं लेनी पड़ी। क्योंकि कांग्रेस के बुजुर्ग जानते थे दारुल उलूम की देश की आजादी में क्या भूमिका है। लेकिन याद रखा जाना चाहिए कि हालात और सरकारें बदलती रहती है। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग देश के करोड़ों रुपए लेकर फरार हो गए हैं। लेकिन हम देश के साथ खड़े हैं। कौन किसे वोट देता है या नहीं देता, इससे हमारा कोई लेना देना नहीं है।