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सवालों के जवाब में दारुल उलूम के मुफ्तियों की खंडपीठ ने दिए फतवे में स्पष्ट कहा कि खास ईद के दिन एक दूसरे से गले मिलना मोहम्मद साहब और सहाबा किराम से साबित नहीं है। इसलिए बाकायदा ईद के दिन गले मिलने का एहतेमाम करना बिदअत (मोहम्मद साहब के जीवन से हटकर) है। हां, अगर किसी से बहुत दिनों बाद इसी दिन मुलाकात हुई हो तो फितरतन मोहब्बत में उससे गले मिलने में कोई हर्ज नहीं है। बशर्त यह कि ईद के दिन गले मिलने को मसनून (सुन्नत) या जरुरी न समझा जाता हो। यह भी पढ़ें : लापता बेटी के घर लोटने पर पिता ने डांटा तो दरोगा ने तोड़ दिया पिता का हाथ अगर कोई गले मिलने के लिए आगे बढ़े तो उसे प्यार से मना कर दिया जाए लेकिन इस बात का खास ख्याल रखा जाए कि लड़ाई झगड़े या फितने की शक्ल पैदा नहीं होनी चाहिए। ईद से ठीक पहले दारुल उलूम का यह फतवा सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। उलेमा मौलाना कारी इस्हाक़ गोरा ने दारुल उलूम के फतवे को पूरी तरह सही बताते हुए कहा कि इस्लाम रस्मों के खिलाफ है, और रस्म के तौर पर ईद के दिन गले मिलना बिदअत है। जिसे छोडना जरुरी है।