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उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा बीते वर्ष लोकसभा में इन्हीं दिनों तीन तलाक पर बिल को पारित कराए जाने के बाद मुस्लिम समाज के विरोध जताने पर विपक्षी दलों द्वारा कदम खींच लेने के चलते राज्यसभा में अटक गया था, जिसके बाद मानसून सत्र में भी सत्ता और विपक्ष में एक राय नहीं होने के चलते पास नहीं हो सका था। इसके बाद सरकार ने 19 सितंबर को कैबिनेट में संशोधन के बाद अध्यादेश लागू किया था। जिसे एक बार फिर सरकार शीतकालीन सत्र में संसद की मोहर लगवाने के लिए पुन: गुरुवार को लोकसभा में संशोधन के साथ बिल पेश किया। इस बार कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने सरकार के बिल के समर्थन से पल्ला झाड़ लिया। हालांकि इसके बावजूद यह बिल लोकसभा में पास हो गया। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए बिल पर दारुल उलूम मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि बिल में संशोधन किए जाने के मसवदे की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। हालांकि उन्होंने दो टूक कहा कि सरकार मजहबी मामलों में क्यों हस्तक्षेप कर रही है इसकी वजह साफ होनी चाहिए। यह भी पढ़ें- नमाज पर रोक के बाद भड़के असदुद्दीन ओवैसी ने UP पुलिस पर दिया बड़ा बयान मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार मजहबी मामलों में कानून के रास्ते दखलंदाजी कर रही है। यह किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। नोमानी ने कहा कि सरकार संविधान में दिए गए शरीयत के कानून में मदाखलत (हस्तक्षेप) कर मजहबी आजादी को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि देश का संविधान मजहबी आजादी के साथ जीने का अधिकार देता है। मुफ्ती नोमानी ने कहा कि तीन तलाक और निकाह जैसे मसले मजहबी मामले हैं, जिनमें सरकार हस्तक्षेप कर मजहबी आजादी को छीनने की कोशिश कर रही है, जो नाकाबिले कबूल है।