सहारनपुर

फर्जीवाड़े के एक मुकदमे में अदालत ने 32 साल बाद सुनाया ये एतिहासिक फैसला

फर्जीवाड़ा करने के आरोपी पर 1986 में दर्ज हुआ था केस

सहारनपुरApr 20, 2018 / 11:51 am

lokesh verma

सहारनपुर. सहारनपुर की एक अदालत में चल रहे मुकदमे में 32 साल बाद फैसला आया है। 32 साल बाद अदालत ने आरोपों को सही माना और पासबुक में फर्जी एंट्री करने वाले चौकीदार को 6 साल की सजा सुनाई है। सजा के साथ ही अदालत ने आरोपी पर एक लाख बीस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। बता दें कि वर्ष 1986 में सहारनपुर की कोतवाली सदर बाजार में यह मुकदमा दर्ज हुआ था। पुलिस ने चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की थी और 1986 से चल रहे इस मामले में अब 2018 में फैसला आया है। 32 साल तक चले मुकदमे में कई सुनवाई के बाद अब अदालत ने आरोपी को दोषी मानते हुए अपना फैसला दिया है।
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यह था मामला

कोतवाली नगर क्षेत्र के मोहल्ला हीरनमारान के रहने वाले जगदीश प्रसाद पर वर्ष 1986 में बैंक की पासबुक में फर्जी लेनदेन और हेराफेरी करने के आरोप लगे थे। जगदीश प्रसाद कोतवाली सदर बाजार क्षेत्र स्थित पंजाब नेशनल बैंक की शाखा में चौकीदार के पद पर तैनात थे। चौकीदार रहते हुए ही इन्होंने अपनी पत्नी के नाम पर एक बैंक खाता खुलवाया था। बताया जाता है कि इसी बैंक में दो और खाते खोले गए, जिनमें जगदीश प्रसाद गवाह थे। यानी इन खाता धारकों की शिनाख्त जगदीश प्रसाद ने ही की थी। ये दो खाते गिरधारी लाल और जीत सिंह के नाम से खोले गए थे। इस तरह जगदीश प्रसाद की पत्नी और जीत सिंह व गिरधारी लाल के खातों में लेन देन होने लगा, लेकिन इस लेनदेन को जगदीश प्रसाद खुद ही करते थे। खाताधारक कभी बैंक नहीं आते थे और जगदीश प्रसाद ही इन तीनों खातों में लगातार लेनदेन कर रहे थे। इस पर जब शक हुआ तो तत्कालीन लेखाधिकारी ने इस मामले की जांच कराई। इस जांच रिपोर्ट में कहा गया कि जगदीश प्रसाद की ओर से जो लेनदेन अपनी पत्नी और जीत सिंह व गिरधारी लाल के नाम के खातों में किया जा रहा है वह फर्जी है। इसके बाद बैंक की पासबुक में फर्जी लेन-देन की प्रविष्टियों का भी खुलासा हुआ।
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खुलासा होने पर बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक हरीश कुमार पाल ने कोतवाली सदर बाजार पहुंचकर पुलिस को पूरी घटना बताई और तहरीर देते हुए बैंक के चौकीदार जगदीश प्रसाद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस की जांच में भी सभी आरोप सही पाए गए और पुलिस ने जगदीश प्रसाद के खिलाफ चार्जशीट न्यायालय में दाखिल कर दी। वर्षों बीत जाने के बाद भी यह मुकदमा न्यायालय में चलता रहा तारीख पे तारीख मिलती रही। वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी भूपेंद्र प्रताप सिंह के मुताबिक इस मामले की सुनवाई के दौरान अब मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दीनानाथ ने जगदीश प्रसाद को दोषी माना है। तमाम सबूतों और गवाहों के बिनाह पर और अब तक हुई जिरह के बाद न्यायालय ने बैंक के तत्कालीन चौकीदार जगदीश प्रसाद पर लगाए गए आरोपों को सही माना। इसी आधार पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत से जगदीश प्रसाद को कुल 6 साल कारावास की सजा सुनाई। जगदीश पर 1.2 लाख रूपये का अर्थदंड भी लगाया गया है। 32 साल बाद इस मुकदमे में जो फैसला आया है। यह फैसला अदालत में चर्चा का विषय बना हुआ है।
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