2 रैन बसेरा के 81 पलंग में सिर्फ 8 लोग सोते मिले- शनिवार रात 10.30 बजे जब जिला अस्पताल के रैन बसेरा में पत्रिका टीम पहुंची तो नवनिर्मित 52 बेड के रैन बसेरा में ऊपरी फ्लोर बंद था, नीचे के कमरे में 28 बेड थे, जिसमें से मात्र 4 लोग सो रहे थे। इसी से लगे 29 बेड के पुराने रैन बसेरा में पुरुष के 15 पलंग में से 11 खाली थे, वहीं महिलाओं के 14 पलंग पूरे खाली थे।
सैकड़ों लोग अस्पताल के फर्श गुजारते हैं रात- शनिवार रात 10.50 बजे जिला अस्पताल के वार्डों में ही कई परिजन मरीज के पलंग के पास फर्श पर लेटे थे, पूछने पर उन्होंने कहा कि मरीज के पास रहना है इसलिए रैन बसेरा में नहीं गए। जब वार्ड से बाहर आए तो गैलरी में कई परिजन जमीन पर गर्म कपड़ों में लिपटे दिखे, उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि हमारे लिए रैन बसेरा में व्यवस्था है। इसी तरह मेडिकल कॉलेज की तमाम गलियों में 100 से अधिक लोग जमीन पर सोते दिखाई दिए।
इसलिए रैन बसेरा नहीं जा रहे मरीज-
-रात के समय आधार कार्ड की हार्ड कॉपी मांगना।
-लोकल के लोगों पलंग न देना, 10 किमी दूर के लोगों को ही रुकने देना।
-वार्डों में रैन बसेरा सुविधा का प्रचार-प्रसार नहीं करना।
-कई लोग कर्मचारियों के व्यवहार ठीक न होने का आरोप लगा रहे।
-मुझे जानकारी नहीं थी कि अस्पताल में परिजनों के रुकने की व्यवस्था है, मरीज के साथ एक लोग ही रुक सकता है इसलिए इसलिए वार्ड के बाहर सो रहे हैं।
रामनरेश लोधी, परिजन।
-मरीज के साथ मां पलंग के पास रुकी हैं, गर्म कपड़े कम पड़ गए इसलिए मैं वार्ड के बाहर बैठकर रात गुजार रहा हूं, मुझे नहीं पता था कि रुकने की व्यवस्था है।