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यहां खुल रहा है गिद्धों के लिए रेस्टोरेंट, मिलेगा खास तरह का भोजन

रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में गिद्धों का रेस्टोरेंट खोलने की तैयारी की जा रही है। इस रेस्टोरेंट में गिद्धों के खाने के अनुकूल भोजन उन्हें मुहैय्या कराया जाएगा।

सागरFeb 04, 2024 / 04:24 pm

Faiz

यहां खुल रहा है गिद्धों के लिए रेस्टोरेंट, मिलेगा खास तरह का भोजन

प्रकृति की साफ-सफाई करने और उसे स्वच्छ बनाने में गिद्धों का बड़ा योगदान होता है, ये कहना गलत नहीं होगा कि गिद्ध प्रकृति के सफाई कर्मी होते हैं। इको स्सेटम में इनका होना बेहद जरूरी है, लेकिन अफसोस की बात ये है कि इनकी आबादी दिन-ब-दिन घटती जा रही है। भारत के कई राज्यों से तो ये विशाल पक्षी विलुप्त ही हो चुका है, जबकि कई राज्यों में ये मामूली तादाद में पाए जाते हैं। हालांकि देश के दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में देशभर में गिद्धों की सबसे अधिक संख्या है, यही कारण है कि इसे टाइगर, लेयोपर्ड, चीता और घड़ियाल स्टेट के साथ साथ गिद्ध स्टेट की उपाधि भी मिली हुई है।

 

ऐसे में वल्चर स्टेट मध्य प्रदेश के सागर जिले में इसके संरक्षण के लिए रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में गिद्धों का रेस्टोरेंट खोलने की तैयारी की जा रही है। इस रेस्टोरेंट में गिद्धों के खाने के अनुकूल भोजन उन्हें मुहैय्या कराया जाएगा। इसके लिए 5 एकड़ की जमीन चिन्हित भी की जा चुकी है। इस गिद्ध रेस्टोरेंट में गौशालाओं से मृत मवेशियों को लाया जाएगा। हालांकि, पहले यहां लाए जाने वाले शवों का परीक्षण किया जाएगा, इसके बाद उन्हें गिद्धों के भोजन के रूप में यहां छोड़ दिया जाएगा। सागर के साथ साथ दमोह और नरसिंहपुर जिले की सीमाओं में फैले रानी दुर्गावती नौरादेही टाइगर रिजर्व में सबसे पहले ये पहल शुरु की जा रही है।

 

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गिद्ध संरक्षण के लिए प्लान 2030 जारी

दरअसल, पर्यावरण मंत्रालय द्वारा गिद्धों के संरक्षण के लिए एक्शन प्लान 2030 जारी किया गया है। इसमें बुंदेलखंड भी शामिल है। हर जिले में वैज्ञानिक और व्यावहारिक उपाय अपनाए जाएंगे, ताकि गिद्धों का संरक्षण हो साथ में इनकी संख्या भी तेजी से बढ़ सके, जिसके बाद ये भी प्रकृति में अपना योगदान दे सकें।


तेजी से कम हुई गिद्धों की संख्या

रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. ए.ए अंसारी के अनुसार पिछले कुछ सालों में गिद्धों की संख्या में तेजी से गिरावट हुई है। पाया गया था कि मृत मवेशी गिद्धों का भोजन होते हैं और पशुपालकों द्वारा अपने जानवरों में अलग-अलग तरह की दवाएं इस्तेमाल की जाती हैं। ऐसे मृत जानवरों को खाने से गिद्ध मार रहे थे। इसी को देखते हुए भारत सरकार ने साल 2006 में डाईक्लोफेनाक और साल 2023 में एसेक्लोफेनाक पर प्रतिबंध लगाया है। इसके बावजूद अभी बाजार में निमेसुलाइड और फेनिलबूटाज़ोन जैसी दवाएं हैं, जिनका पशुपालक उपयोग कर रहे हैं। ये दवाएं भी गिद्धों की मौत की वजह बनी हैं। मवेशियों में उपयोग होने वाली केटोप्रोफेन और एसिक्लोफेनाक गिद्धों के लिए डाईक्लोफेनाक की तरह जहरीले हैं।

 

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शुरु हुई तैयारी

डिप्टी डायरेक्टर डॉ. ए.ए अंसारी के अनुसार गिद्ध का एरिया बहुत विस्तृत होता है। इसके खाने की आदत हमारे इकोसिस्टम के लिए काफी जरूरी है। गिद्धों की सुरक्षित भोजन के लिए टाइगर रिजर्व में वल्चर रेस्टोरेंट खोले जा रहे हैं। इसके लिए उन गौशालाओं से संपर्क किया जा रहा है, जो मवेशियों में गिद्धों को नुकसान पहुंचाने वाली दवाओं का उपयोग न करते हों। कोशिश ये की जा रही है कि गिद्ध भोजन की तलाश में न भटकें और उन्हें टाइगर रिजर्व में ही सुरक्षित भोजन मिलने लगे।

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