कृषि विभाग ने बोवनी के लक्ष्य के अनुसार 2400 टन डीएपी और 500 टन एनपीके खाद की मांग भेजी थी, लेकिन अभी तक करीब 1000 टन खाद आया है। किसान उप्र सहित अन्य शहरों से खाद लेकर आए हैं, तब बोवनी कर पाए। क्योंकि यदि खाद नहीं लाते, तो बोवनी लेट हो जाती और फसल प्रभावित होती। खाद की कमी के चलते विक्रेताओं ने नकली खाद भी बाजार में बेच दिया है, जिसका असर फसलों पर पड़ेगा, इसमें भी नुकसान किसानों को ही उठाना पड़ेगा। क्षेत्र में 42000 हैक्टेयर में बोवनी हो चुकी और अभी 13000 हैक्टेयर में बोवनी शेष रह गई है। अभी भी जिन किसानों ने बोवनी नहीं की है, उन्हें डीएपी आने का इंतजार है। गोदाम प्रभारी के अनुसार बुधवार तक गोदाम में खाद आने की उम्मीद है।
उप्र से लाना पड़ा खाद
किसान महेश प्रजापति ने बताया कि उप्र से 1600 रुपए बोरी में डीएपी लेकर आए हैं, तब बोवनी हो पाई है। कुछ किसान आसपास के अन्य शहरों से भी खाद लेकर आए हैं। एक-एक बोरी खाद के लिए इस वर्ष मशक्कत करनी पड़ी है और यदि खाद नकली हुआ, तो आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ेगा।
किसान महेश प्रजापति ने बताया कि उप्र से 1600 रुपए बोरी में डीएपी लेकर आए हैं, तब बोवनी हो पाई है। कुछ किसान आसपास के अन्य शहरों से भी खाद लेकर आए हैं। एक-एक बोरी खाद के लिए इस वर्ष मशक्कत करनी पड़ी है और यदि खाद नकली हुआ, तो आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ेगा।
एक माह पहले भेज दी जाती है मांग
कृषि विभाग खाद के लिए एक माह पहले मांग भेजता है, जिससे समय पर किसानों को खाद मिल सके। पिछले वर्षों में हुई खाद की खपत और रकबा के अनुसार मांग बनाई जाती है। इसके बाद भी पहले से यह व्यवस्था नहीं की जाती है। किसानों को चिंता सता रही है कि यूरिया के लिए भी कहीं इसी तरह परेशान न होना पड़े।
कृषि विभाग खाद के लिए एक माह पहले मांग भेजता है, जिससे समय पर किसानों को खाद मिल सके। पिछले वर्षों में हुई खाद की खपत और रकबा के अनुसार मांग बनाई जाती है। इसके बाद भी पहले से यह व्यवस्था नहीं की जाती है। किसानों को चिंता सता रही है कि यूरिया के लिए भी कहीं इसी तरह परेशान न होना पड़े।
फैक्ट फाइल
17 नवंबर तक हुई बोवनी-42002 हैक्टेयर डीएपी, एनपीके खाद की मांग-2900 टन
अभी तक आया खाद- 1000 टन
17 नवंबर तक हुई बोवनी-42002 हैक्टेयर डीएपी, एनपीके खाद की मांग-2900 टन
अभी तक आया खाद- 1000 टन