अनुदान पर मिलने वालीं दवाएं नहीं उपलब्ध
सागर•Jan 02, 2019 / 03:06 pm•
manish Dubesy
The wheat gram harvesting Not affecting pesticides
खुरई. चने की फसल में इल्लियों का प्रकोप बढऩे लगा है। कीटनाशक दवाईयां भी इल्लियों को नहीं रोक पा रही हैं। किसानों के सामने एक नए संकट ने दस्तक दी है। किसानों की चना, अरहर आदि फसलों में कीटनाशक इल्ली की आमद ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
कृषि विभाग ने किसानों को अपनी फसल की रक्षा के लिए कई तरह के उपाए सुझाए हैं। क्षेत्र में मौसम में हो रहे बदलाव का असर रबी सीजन की फसलों पर साफ दिखाई दे रहा है जिससे खेतों में खड़ी फसल में इल्ली लगने लगी है। इससे किसानों की फसल प्रभावित हो रही है। इल्ली के प्रकोप से दलहन फसलों की फूल, पत्ती व फली को भारी नुकसान पहुंच रहा है।
किसानों ने बताया कि इसका सीधा असर फसल की उत्पादन पर पड़ेगा। लगातार प्रकृति की मार झेल रहे किसानों को एक बार फिर उसे भविष्य की चिंता सताने लगी है। किसान श्रीराम सिंह महूना, नरेन्द्र शर्मा ने बताया कि पैसे नहीं होने पर औने-पौने दामों में उधार लेकर काम चला रहे हैं लेकिन दवा छिड़काव के बाद भी कुछ असर होता दिखाई नहीं दे रहा है।
अरहर, मटर भी प्रभावित
एक और जहां अरहर के भाव आसमान छू रहे हैं वहीं अगली फसल पर भी तना छेदक इल्लियों का प्रकोप देखा जा रहा है। जिसके लिए आवश्यक उपाय जरूरी हैं। इसके साथ ही मटर में भी पत्ती और तना में गांठ बनने का रोग देखा जा रहा है। ये गांठें बाद में बड़ी होकर पत्ती को ही नष्ट कर देती हैं।
शहर में कीटनाशक दवाओं से बाजार भरा पड़ा है। किसान चना में इल्ली के प्रकोप से निपटने के लिए बाजार से मंहगी दवा खरीदने मजबूर है। नतीजतन महंगी कीटनाशक दवाइयां बेअसर साबित हो रही है। जिससे बाजार में बिक रहे महंगे कीटनाशक दवाओं को लेकर किसानों में आशंका बढऩे लगी है कि उक्त दवाएं अमानक स्तर की होगी। वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि किसान इल्ली के प्रकोप को दूर करने के लिए विभाग द्वारा अनुदान पर मिलने वाली दवाएं तीन साल से उपलब्ध नहीं हैं।
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