सागर

केमिकल के बेहिसाब इस्तेमाल से बंजर हो रही है जमीन

मिट्टी में नाइट्रोजन और फास्फोरस की हो रही है कमी

सागरDec 05, 2021 / 08:04 pm

Hitendra Sharma

सागर. आज दुनियाभर में विश्व मृदा दिवस मनाया जा रहा है। बढ़ते प्रदूषण और खेती में केमिकल के लगातार बढ़ते इस्तेमाल से हमारी मिट्टी का स्तर लगातार खराब हो रहा है। बहुत से भागों में उपजाऊ मिट्टी लगातार बंजर हो रही है और किसानों द्वारा ज्यादा रसायनिक खादों और कीड़ेमार दवाओं का इस्तेमाल करने से मिट्ठी के जैविक गुणों में कमी आने के कारण इसकी उपजाऊ क्षमता में गिरावट आ रही है।

किसानों और आम जनता को मिट्टी की सुरक्षा के लिए जागरुक करने के मकसद से संयुक्त राष्ट्र ने 2013 में हर वर्ष 5 दिसंबर को विश्व मिट्टी दिवस मनाने का फैसला लिया गया था। हमारे भोजन का 95 प्रतिशत भाग मिट्टी से ही आता है। खेतों की मिट्टी के लिए जरूरी पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और सूक्ष्म तत्व के अनुपात का गणित गड़बड़ा गया है, जिससे मिट्टी की सेहत लगातार गिरती जा रही है। मिट्टी में नाइट्रोजग, फास्फोरस और पोटाश का अनुपात 4:25 होना चाहिए, लेकिन जांच से पता चला है कि मिट्टी में नाइट्रोजज की बहुत कमी हुई है। पौधों को सांस लेने और अपना भोजन बनाने के लिए नाइट्रोजन की ही जरूरत होती है।

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बताया कि जिले की मिट्टी की उरवंडता लगातार घट रही है। मुख्य पोषक तत्व के साथ जिंक और सल्फर की भी कमी देखी गई है। उन्होंने बताया कि पिछले दो सालों में 1500 मृदा हेल्‍थ कार्ड के नमूनों में यह देखा गया है। उन्होंने बताया कि नाइट्रोजन की कृषि वैज्ञानिक के एस यादव ने स्थिति कहीं कम तो कहीं ज्यादा है। वहीं फास्फोरस का स्तर मध्यम बना हुआ है। जिंक, सल्‍्फर और बोरान की बहुत अधिक कमी है। उन्होंने बताया कि रासायनिक खाद का सही इस्तेमाल न होने की वजह से ऐसा हो रहा है। किसानों के लिए अधिक से अधिक गोबर की खाद और केंचूआ खाद का प्रयोग करना होगा। जो कार्ड जारी किए जा रहे हैं उसके अनुसार खाद का इस्तेमाल करें।

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इसलिए मनाया जाता है दिवस
विश्व मिठ्ठी दिवस की संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर वर्ष 5 दसंबर को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उदेश्य किसानों और आम लोगों को मिट्टी की महत्ता के बारे में जागरूक करना है। विश्व के बहुत से भागों में उपजाऊ मिट्टी बंजर और किसानो द्वारा ज्यादा रसायनिक खादों और कीड़ेमार दवाईओं का इस्तेमाल करने से मिट्टी के जैविक गुणों में कमी आने के कारण इसकी उपजाऊ क्षमता में नम आरही है और यह प्रदूषण का भी शिकार हो रही है। इसलिए किसानों और आम जनता को इसकी सुरक्षा के लिए जागरूक करने की जरूरत है। 20 दसंबर 2013 को प्रति वर्ष 5 दसंबर को विश्व मिट्टी दिवस मनाने का फैसला लिया गया था।

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