सागर

कबुलापुल शनि मंदिर में मिलता है निराश्रितों को आसरा, बालाजी के शनि भगवान के पास लगती है पितृमोक्ष अर्जी

शहर के कबुला पुल स्थित करीब 100 वर्षों पुराने शनिमंदिर में हर शनिवार को शहर के सैकड़ो भक्त पहुंचते हैं। यह सिद्धधाम कहा जाता है।

सागरJun 07, 2024 / 08:55 pm

रेशु जैन

shani jyanti

सागर. शहर के कबुला पुल स्थित करीब 100 वर्षों पुराने शनिमंदिर में हर शनिवार को शहर के सैकड़ो भक्त पहुंचते हैं। यह सिद्धधाम कहा जाता है। इस मंदिर की खासियत यह है कि 24 घंटे मंदिर के दरवाजे बंद नहीं होते हैं और मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए कोई पंडित-पुजारी नहीं है। मंदिर के भक्त स्वंय ही पूजा-अर्चन करते हैं। यहां आने वाले सैकड़ो भक्तों के लिए नि:शुल्क भोजन, कंबल, कपड़े और पानी आदि की व्यवस्था होती है। मंदिर के 100 गुणा 65 फीट के परिसर में सूर्य पुत्र शनिदेव के साथ यहां शिव परिवार, राम दरबार और महाकाली विराजमान हैं। मंदिर का न कोई ट्रस्ट है न समिति है। मंदिर का जीर्णोद्धार पिछले 40 साल से लगातार चल रहा है। मंदिर में दो गुबंद बनाए गए हैं जो सतह से करीब 100 फीट ऊंचे हैं। इन गुबंदों पर टाइल्स लगाने का काम चल रहा है। पूरे मंदिर परिसर में ऐसे ही राम नाम के टाइल्स लगाए जा रहे हैं । प्रत्येक शनिवार को यहां भक्तों को भीड़ उमड़ती है। शनिदेवजी की यहां पत्थर की प्रतिमा विराजमान है।
पहले यहां हुआ करती थी गुंबद
बताते हैं कि 1974 के पहले तक यहां शनिदेवजी की छोटी सी मडय़िा हुआ करती थी। उसके बाद इस मंदिर का विस्तार एक राम भक्त द्वारा शुरू कराया गया जो धीरे धीरे अब विशाल मंदिर के रूप में आकार ले चुका है। राम दरबार की स्थापना पिछले साल ही हुई मंदिर परिसर में राम दरबार की स्थापना पिछले साल ही की गई है। संगमरमर से निर्मित भगवान राम जानकी व लक्ष्मणजी की आकर्षक मूर्तियों की स्थापना पूरे विधि विधान से पिछले साल ही की गई थी। जबकि हनुमानजी महाराज पहले से ही विराजमान हैं हनुमानजी महाराज की 21 फीट ऊंची प्रतिमा एकल पत्थर पर निर्मित है । हनुमानजी यहां भजनानंदी मुद्रा में है।

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