सागर. भाग्योदय तीर्थ में पर्युषण पर्व के छठवें दिन पूरा सुधा मंडप रोशनी से जगमग हो उठा। यहां 5 हजार से शिविरार्थियों एवं भक्तों ने 10 हजार से ज्यादा दीपक जलाकर निर्यापक मुनि सुधा सागर महाराज की आरती की। जिज्ञासा समाधान कार्यक्रम के बाद महाआरती का आयोजन किया। धार्मिक भजनों पर भक्तों ने नृत्य किया। इससे पहले सुबह उत्तम संयम धर्म पर अभिषेक-पूजन और शांतिधारा हुई। धर्मसभा में मुनि सुधा सागर ने कहा कि सत्य को भीड़ की जरूरत नहीं रहती, सत्य अकेला ही रहता है। दूसरे को कठपुतली मत बनना। दूसरे को अंतर में मत रखना, बस इतना सा नियम और ले ले तो सत्य के बाद संयम पर कलशारोहण हो जाएगा। वही सत्य-सत्यधर्म बन जाएगा। लोग कहते हैं कि ऐसा नियम बताओ कि मुझे किसी की नौकरी न करना पड़े, हो जाएगा तुम्हें एक नियम लेना पड़ेगा।
मुनि ने कहा कि बड़े आदमी क्यों दुर्गति जाते हैं, क्योंकि वह सारी दुनिया को अपना दास बनाना चाहते हैं। जब तुम्हें गुलामियत पसंद नहीं है तो दूसरे को क्यों ? कोई महिला नहीं चाहती कि वह दूसरे के जूठे बर्तन मांझे, यह वरदान तुम्हें मिल जाएगा। कभी कोई तुम्हारे झूठे बर्तन मांजे तो एक ही भाव करना, जब मैं किसी के जूठे बर्तन नहीं मांजना चाहती तो ये भी तो जीव है। किसी की मां और किसी की पत्नी है। हे भगवान दो दशा में से एक वरदान पूरा कर दे- ‘मुझे ऐसी दशा में पहुंचा दे कि मुझे बर्तन जूठा करना ही न पड़े। यानी भूख से ऊपर उठा दे या फिर इसको इतना समर्थ बना दे कि दूसरे के जूठन बनकर रोटी ही ना कामना पड़े।
18 को निकलेगी शोभायात्रा पर्युषण पर्व के समापन के बाद 18 सितंबर भाग्योदय तीर्थ से सुबह 7.00 बजे शिविरार्थियों की शोभायात्रा निकाली जाएगी। शहर के विभिन्न मार्गोँ से होती हुई करीब 10.00 बजे भाग्योदय पहुंचेगी। सुबह 7.00 बजे भाग्योदय से प्रारंभ होकर रेल्वे ब्रिज के ऊपर से मोतीनगर थाना, चमेली चौक, तीनबत्ती, कटरा पारसनाथ मंदिर, नमकमंडी, वर्णी कॉलोनी, राधा टॉकीज से होते हुए बाहुबली कॉलोनी पहुंचेगी। बाहुबली कॉलोनी से माता मढि़या होते हुए पुन: भाग्योदय तीर्थ में समाप्त होगी।