ये मिले जवाब
अजय परमार- घाटे का। 44 लाख 5 हजार। पुन: निर्धारण।
नरेश यादव- घाटे का। 44 लाख 5 हजार। पुन: निर्धारण।
याकृति जडि़या- घाटे का। 44 लाख 5 हजार। पुन: निर्धारण।
संध्या सिंघई- घाटे का। 44 लाख 5 हजार। पुन: निर्धारण।
चेतराम- घाटे का। ध्यान नहीं। फिर से फॉर्म भरवा रहे हैं।
आराधना- घाटे का। देखना पड़ेगा। कोई निर्णय नहीं।
जिनेश साहू- घाटे का। बैठक में नहीं था। बैठक में नहीं था।
नरेश भैया- कल बता देता हूं। नहीं पता। पूछकर बताऊंगा
जयकुमार- घाटे का। ध्यान नहीं। पुन: निर्धारण।
नीतू खटीक- लाभ का। राशि ध्यान नहीं। पुराना निर्णय
(नोट- आराधना नेमा के पति अतुल नेमा एवं नीतू खटीक के पति धर्मेंद्र खटीक ने जैसा बताया।)
इन वार्डों के पार्षदों से किए प्रश्न
रविदास वार्ड, भगतसिंह वार्ड, संतकबीर वार्ड, चकराघाट, कटरा, विवेकानंद, बल्लभनगर, सिविल लाइन, महर्षि दयानंद और मोतीनगर वार्ड के पार्षदों से प्रश्न किए गए।
पत्रिका व्यू : इसलिए जरूरी है चेंजमेकर
लोगों की समस्याओं, परेशानियों को परिषद जैसे मंच पर उठा नहीं सकते, निगम कार्यालय में क्या चल रहा है, इसकी जानकारी नहीं तो फिर एेसे पार्षदों को चुनने से जनता को कितना फायदा होगा, इसका अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं। परिषद की बैठकों में परफॉर्मेंस के मुताबिक 25 प्रतिशत पार्षद ही सक्रिय हैं, जिसका सीधा सा अर्थ है कि 75 प्रतिशत शहर से लोगों की समस्याएं पार्षद के जरिए ऊपर तक पहुंच ही नहीं पाती हैं। कुछ पार्षदों के दामन पर भी दाग है। एेसे में जरूरी होगा कि अब शहर की जनता खुद अपना चेंजमेकर चुने और उसको सपोर्ट करने के लिए खुद बालेंटियर बनें, तभी हर वार्ड और शहर में बदलाव दिख पाएगा।